सावन के सोमवार पर जाने परमेश्वर के सोमेश्वर स्वरुप से संबंधित तथ्य

Sunday, Aug 14, 2016 - 11:22 AM (IST)

परमेश्वर के आठ अलग-अलग नाम हैं। ये शिव, महेश्वर, रुद्र, पितामह, विष्णु, संसार वैद्य, सर्वज्ञ और परमात्मा के नाम से जाने जाते हैं। तेईस तत्वों से उपरोक्त प्रकृति है, प्रकृति से उपरोक्त शंकर हैं और शंकर से उपरोक्त होने के कारण शिव को महेश्वर कहा जाता है। देवी रूप में प्रकृति और शंकर रूप में पुरुष परमेश्वर शिव के वशीभूत हैं।

 

रूद्र शब्द का जन्म रोदन अर्थात दुख से हुआ है। दु:ख तथा दु:ख के कारणों को दूर करने के कारण वह रुद्र कहलाते हैं। परमेश्वर जगत के मूर्तिमान पितृ होने के कारण पितामह कहलाए जाते हैं, सर्वव्यापी होने के कारण विष्णु कहलाए जाते हैं, मानव के भव रोग दूर करने के कारण संसार वैद्य कहलाए जाते हैं तथा संसार के समस्त कार्य जानने के कारण सर्वज्ञ कहलाए जाते हैं। अपने से अलग किसी अन्य आत्मा के अभाव के कारण वह परमात्मा कहलाए जाते हैं।

 

सावन के सोमवार पर इस विशेष लेख में हम आपको परमेश्वर के सोम्यं स्वरुप सोमेश्वर अर्थात सोमनाथ से संबंधित तथ्य, उपाय और पूजन बता रहे हैं। द्वादश ज्योतिर्लिंगों के सारणी में सोमनाथ अर्थात सोमेश्वर पहला ज्योतिर्लिंग है।

 

शास्त्र स्कंद पुराण के प्रभास खंड के अनुसार इस ज्योतिर्लिंग का नाम हर नई सृष्टि के साथ बदल जाएगा। माता पार्वती के सवाल का जवाब देते हुए भगवान शंकर कहते हैं कि सोमनाथ के आठ नाम पूर्ण हो चुके हैं तथा जब इस वर्तमान सृष्टि का अंत हो जाएगा तदुपरांत ब्रह्मा जी द्वारा नई सृष्टि की रचना होगी तब इस ज्योतिर्लिंग का नाम ''प्राणनाथ'' होगा।

 

इस सृष्टि से पूर्व सोमनाथ ज्योतिर्लिंगों स्पर्शलिंग के नाम से जाना जाता था। पूर्व सृष्टि में मनुष्य शिव से अपरिचित था। प्रलय के उपरांत जब महाकल्प का प्रारंभ होता है तथा नए जनक ब्रह्मा उत्पन्न होते हैं तब ब्रह्मा जी के आठ वर्ष पूरा होने के उपरांत सोमनाथ का नाम बदल दिया जाता है।

 

शास्त्र स्कंद पुराण के अनुसार वर्त्तमान कलियुग तक छह ब्रह्मा बदले जा चुके हैं। बीते कल्प से पूर्व जो ब्रह्माजी थे विरंचि नाम से जाने जाते थे। बीते कल्प से पूर्व में सोमनाथ का नाम मृत्युंजय था अर्थात कलयुग सप्तम ब्रह्मा जी का युग है, वर्त्तमान कलयुग में इन ब्रह्मा जी का नाम है ''शतानंद''।

 

अतः वर्त्तमान कलयुग शिव के इस ज्योतिर्लिंग का नाम सोमेश्वर यां सोमनाथ है। दूसरे कल्प में ब्रह्माजी का नाम पद्मभू था। दूसरे कल्प में सोमनाथ का नाम कालाग्निरुद्र था। तीसरे कल्प में ब्रह्मा की सृष्टि का नाम स्वयंभू था। तीसरे कल्प में सोमनाथ का नाम अमृतेश था। चतुर्थ कल्प में ब्रह्मा का नाम परमेष्ठी था। चतुर्थ कल्प में इस ज्योतिर्लिंग का नाम "अनामय" था। पंचम कल्प में ब्रह्माजी का नाम सुरज्येष्ठ था। पंचम कल्प में सोमेश्वर का नाम कृत्तिवास था। छठे कल्प में ब्रह्माजी का नाम हेमगर्भ था। छठे कल्प में इस ज्योतिर्लिंग का नाम भैरवनाथ था। कलयुग के अंत के बाद नए युग में ब्रह्मा जी का नाम चतुर्मुख होगा तथा कलयुग के बाद सोमनाथ जी प्राणनाथ कहलाए जाएंगे।

 

आचार्य कमल नंदलाल

ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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