यशोदा मैय्या ने श्रीकृष्ण की लंबी उम्र के लिए राधा रानी से कहा...

Tuesday, Nov 03, 2015 - 03:45 PM (IST)

एक बार दुर्वासा मुनि श्रीमती राधा रानी के पिता जी राजा वृषभानु जी के यहां आए। उन्होंने मुनि की खूब आवभगत की। दुर्वासा जी द्वारा भोजन करने की इच्छा करने पर वृषभानु महाराज ने अपनी पुत्री को मुनि के लिए भोजन बनाने के लिए कहा। दुर्वासा मुनि भोजन पाकर बहुत खुश हुए और स्वादिष्ट भोजन की बहुत तारीफ करने लगे।

जब उन्हें पता चला की यह सब श्रीवृषभानु राजा की पुत्री श्रीमती राधा ने बनाया है तो उन्होंने राधा जी को अपने पास बुलाया और आशीर्वाद देते हुए वृषभानु महाराज को बोले,"जो भी इसके हाथ का बना भोजन खाएगा, उसकी लंबी उम्र होगी।"
 
यशोदा मैय्या को जब इस बात का पता चला तो वे बहुत प्रसन्न हुईं। उन्होंने राधा जी के लिए बुलावा भेजा। श्री वृषभानु जी व नंद बाबा की गहरी दोस्ती थी, अतः यशोदा माता की आज्ञा पालन करने के लिए राधा जी पहुंच गई नंद बाबा के घर अपनी सखियों के साथ। यशोदा माता तो वात्सल्य भाव की भक्त वे परब्रहम भगवान श्रीकृष्ण को बालक ही समझती हैं। उनकी भावना थी की मेरे बालक की लंबी उम्र हो। यही सोचकर बड़े स्नेह के साथ उन्होंने राधा जी से कहा,"मेरे लाल के लिए प्रतिदिन सुबह का भोजन आप ही पकाएंगीं।"
 
राधा जी भगवान श्री कृष्ण की यह सेवा पाकर अति प्रसन्न हुईंं। वे प्रतिदिन अपनी सखियों के साथ नंद भवन में आकर भगवान के लिए रसोई बनातीं। 
 
परमपूज्यपाद श्रील भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी महाराज जी ने एक बार अपने निजि सेवक को बताया कि नंद भवन में राधा जी जब प्रातःकालीन रसोई बनाती हैं, उससे पहले सारे बर्तनों को पानी से धोना तथा कपड़े से सुखाकर ललिता-विशाखा आदि सखियों को देना, यह गोलोक-धाम में उनकी नित्य सेवा है। 
 
श्री चैतन्य गौड़ीय मठ की ओर से
श्री भक्ति विचार विष्णु जी महाराज
bhakti.vichar.vishnu@gmail.com
Advertising