भूलकर भी न करें ये कार्य, घर-परिवार और समाज में होता है अपमान

Saturday, Sep 03, 2016 - 11:02 AM (IST)

धार्मिक ग्रंथों में ऐसे कार्यों का उल्लेख किया गया है, जिन्हें व्यक्ति को नहीं करना चाहिए। वर्जित कार्य करने से व्यक्ति को मुश्किलों को झेलना पड़ता है। साथ ही उसको परिवार अौर समाज में भी मान-सम्मान नहीं मिलता है अौर उन्हें अपमान का सामना करना पड़ता है।

 

संतान को नजरअंदाज करना

जो व्यक्ति संतान के पालन-पोषण की अोर ध्यान नहीं देता, वह संस्कारी नहीं होता। संतान बिगड़ जाती है अौर गलत कार्य की अौर अग्रसर हो जाती है, जिससे माता-पिता का अपमान होता है। बच्चों का भविष्य अच्छा हो इसके लिए माता-पिता को उनकी अच्छे से देखभाल करने की आवश्यकता होती है। बच्चों को अच्छे संस्कार देने चाहिए।

 

लालच करना

लालच बुरी बला है। जो लोग धन होने के पश्चात भी घरेलु खर्चों पर धन खर्च नहीं करते। ऐसे लोगों को समाज में सम्मान की प्राप्ति नहीं होती। जरुरतों पर भी धन खर्च न करने से व्यक्ति का लालच अोर बढ़ जाता है अौर वह पैसों के लिए गलत कार्य करने से भी नहीं डरता। जिस प्रकार मछलियां मांस के छोटे से टुकड़े के लालच में आकर अपनी जान खो देती हैं, उसी तरह व्यक्ति भी धन के लालच में फंसकर बहुत सारी  मुश्किलों को झेलता है।

 

आय से अधिक दान देना

आय से अधिक खर्च अौर दान देने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जो व्यक्ति अपनी आय से अधिक धन व्यय करते हैं अर्थात फिजूलखर्च करते हैं उनके पूरे परिवार को मुश्किलें झेलनी पड़ती है। व्यक्ति को अपनी समर्था के अनुसार दान करना चाहिए। राजा हरिशचंद्र ने भी अपनी सारी संपंति विश्वामित्र को दान दे दी थी। जिसके कारण उनकी पत्नी अौर बेटे को परेशानियां झेलनी पड़ी थी।

 

बुरे लोगों की संगत करना

व्यक्ति को सदैव अच्छी संगति करनी चाहिए। अच्छी या बुरी संगति का असर व्यक्ति के जीवन में पड़ता है। गलत लोगों की संगत करने पर कुछ समय के लिए तो सुख मिलता है लेकिन बाद में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। दुर्योधन के साथ कर्ण, रावण के साथ कुंभकर्ण और मेघनाद इसके उत्तम उदाहरण है।

 

दूसरों को नुक्सान पहुंचाना

अपने स्वार्थ के लिए दूसरों को नुक्सान पहुंचाने वाले लोगों के साथ उनके परिवार को भी नुक्सान, अपमान झेलना पड़ता है। शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति जैसा कार्य करता है उसको वैसे ही फल की प्राप्ति होती है। राजा कंस ने श्रीकृष्ण को मारने हेतु कई प्रयास किए थे परंतु अंत में उसको मृत्यु प्राप्त हुई थी।

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