विचार करें, क्यों खास है मनुष्य जीवन

Friday, Jul 01, 2016 - 03:51 PM (IST)

कहा जाता है कि मानव जन्म प्राप्त करना आसान नहीं है और एक बार अगर आपने मानव शरीर पा लिया तो आप प्रकृति के हाथों में नहीं रहते। अब आपके पास स्वतंत्र इच्छा नामक एक दुर्लभ क्षमता होती है, जिससे विकास के आगे की प्रक्रिया शुरू होती है। 

 

दूसरी तरफ एक पशु कुछ साल जीने और अपनी संतान को जन्म देने के बाद संतुष्ट हो जाता है। मनुष्य को शारीरिक रूप से भी वयस्क होना होता है। अपनी भूख-प्यास को तुष्ट कर और दुर्घटनाओं व बीमारियों से बचकर आपको अपना जीवन यापन करना होता है। सभी जीवों में पाई जाने वाली जीने की इच्छा द्वारा संभव हो सकने वाली यह प्रक्रिया प्राकृतिक है।

 

शारीरिक वयस्कता के उलट भावनात्मक विकास आपके अपने हाथों में होता है। आंतरिक परिपक्वता की प्रक्रिया आपको स्वयं शुरू करनी होती है क्योंकि आप मनुष्य हो जिनके पास चुनने का अधिकार है। हालांकि प्रत्येक व्यक्ति कुछ अजीब ढूंढता है। जो 4 सार्वभौम छोर मनुष्य छूने का प्रयास करता है, वे हैं-सुरक्षा, आनंद, अर्थ और कर्म। 

 

मनुष्य अन्य 2 पुरुषार्थों धर्म और मोक्ष को भी प्राप्त कर सकता है। संस्कृत में अर्थ उसे कहा जाता है जो भावनात्मक, आर्थिक या सामाजिक सुरक्षा देता है। अर्थ नकद भी हो सकता है, लिक्विड एसेट भी, स्टॉक, रियल एस्टेट, संबंध, एक घर, एक अच्छा नाम, एक पहचान, प्रभाव या किसी भी तरह की शक्ति हो सकती है। 

 

हालांकि हर व्यक्ति को अलग-अलग तरह की सुरक्षा चाहिए होती है। कोई भी चीज जो आपकी इंद्रियों को संतुष्ट करे, आपके मस्तिष्क को अच्छी लगे, आपका दिल छू जाए और आप में एक प्रकार की सराहना का भाव जगा जाए उसे काम कहते हैं। 

 

धर्म को हम जो महत्व देते हैं, उसके कारण अब क्रम को उलटा किया जा सकता है-धर्म, अर्थ और कर्म। धर्म आपकी परिपक्वता पर निर्भर है। आप जितने परिपक्व होंगे उतने ही धार्मिक होंगे। परिपक्व होने के लिए धर्म की समझ और अनुरूपता व्यक्ति के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण हो जाती है। इस प्रकार इन तीनों छोरों में से धर्म सबसे प्रथम स्थान पा लेता है।

 

Advertising