पवित्र ग्रंथों के अनुसार जानिए क्यों रहता है व्यक्ति धन और सुख से वंचित

Wednesday, May 04, 2016 - 01:05 PM (IST)

हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथ रामायण, गीता और महाभारत में व्यक्ति के धन और सुख से वंचित रहने का कारण उसके स्वयं के आचार- व्यवहार को माना गया है। वहीं उसके विनाश का कारण बनती हैं। आइए जानें शास्त्रों के अनुसार कौन सी हैं वो बुरी आदतें

वासना: प्रेम, वासना नहीं उपासना है। वासना का उत्कर्ष प्रेम की हत्या है, प्रेम समर्पण एवं विश्वास की पराकाष्ठा है। संसार की सम्पूर्ण चिंताओं के मूल में वासना है। उन्हें रोकने का एकमात्र उपाय उनके यथार्थ स्वरूप का चिंतन है। वासना जन्य चिंताएं हमारी अशांति का कारण हैं। इसकी एकमात्र औषधि है आत्मचिंतन। जो सभी शक्तियों का मूल है, आनंद का स्रोत है तथा संयम का एकमात्र साधन है। मानव संयम के बिना हमें मानव कहलाने का अधिकार नहीं है। इसलिए मनुष्य को प्रत्येक परिस्थिति में संयम बनाए रखकर अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। 

इच्छाएं: जो दूसरों की इच्छाएं पूरी करता है, उसे अपनी इच्छाओं से दुखी नहीं होना पड़़ता। ज्ञान योगी इच्छाओं का कारण अज्ञान को मिटाकर इच्छा रहित होना है। इच्छा के 2 कारण हैं। एक तो पूर्व जन्म के संस्कार जो अंतर्मन में पड़े रहते हैं, समय-समय पर प्रकट होते रहते हैं और उनमें इच्छाएं, वासनाएं उत्पन्न होती रहती हैं। पूर्वजन्म के भोगों के संस्कार दूसरा कारण है।

क्रोध: मनुष्य के दुख, संताप, परेशानियों व दुर्गति का कारण है कामना। जब वो पूरी हो जाती है तो सुख और आपूर्ति में दुख होता है। जब कामनाओं में बाधा पडनी शुरू हो जाती हैं तो क्रोध की उत्पत्ति होती है। जो क्रोध को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है।

अहंकार: शास्त्रों में कहा गया है की अहंकारी व्यक्ति के अंत के साथ-साथ उसके कुल का भी नाश हो गया। रावण, ह‌िरण्यकश्यप, कंस, दुर्योधन, जरासंध, बाल‌ि अहंकार के कारण मारे गए।

मोह: महर्षि वेद व्यास जी ने कहा है मोह सबसे बुरा रोग है। ये हमें कई बार उन चीजों से भी अलग नहीं होने देता जो भविष्य में हमारे लिए ही विनाशकारी हो सकती हैं। धृतराष्ट्र के पुत्र मोह ने महाभारत से महाव‌िनाश करवा दिया।

लालच: धनाढ्य होने के बाद भी यदि लालच और पैसों का मोह है तो उससे बड़ा गरीब और कोई नहीं हो सकता है। प्रत्येक व्यक्ति लाभ की कामना करता है लेकिन उसका विपरीत शब्द अर्थात ‘भला’ करने से दूर भागता है। कौरवों ने पांडवों के धन का लालच किया परिणामस्वरूप धन और जन का नुकसान हुआ।

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