17 मई 2016 को किया गया व्रत, मृत्यु उपरांत नर्क की यातनाओं से बचाएगा

Friday, May 13, 2016 - 12:43 PM (IST)

इस वर्ष वैशाख शुक्ल एकादशी तिथि 17 मई, 2016 ( मंगलवार) को है। इस एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। धर्मशास्त्रों के अनुसार यह तिथि सब पापों को हरने वाली और उत्तम है। इस दिन जो व्रत रखता है, उसके व्रत के प्रभाव से मनुष्य मोहजाल तथा पापों से छुटकारा पा जाते हैं। हिंदू धार्मिक मान्यता अनुसार वैशाख माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी मोहिनी एकादशी के नाम से जानी जाती है।  

 
 
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जब समुद्र मंथन के समय अमृत को लेकर देवताओं और दानवों में विवाद छिड़ गया तो इस विवाद को समाप्त करने एवं दानवों को अमृत से दूर रखने के लिए भगवान विष्णु अति सुंदर नारी रूप धारण कर देवताओं और दानवों के बीच पहुंच गए। भगवान विष्णु के नारी रूप को देख दानव उन पर मोहित हो गए। तब भगवान विष्णु जी ने दानवों से अमृत कलश छीनकर देवताओं को सौंप दिया तत्पश्चात सभी देवताओं ने अमृत पान किया, जिससे समस्त देवता गण अमर हो गए। जिस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप को धारण किया था उस दिन एकादशी तिथि थी। अतः इस एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है।
 
 
जिस प्रकार कार्तिक के समान वैशाख मास उत्तम माना गया है उसी प्रकार वैशाख मास की यह एकादशी भी उत्तम मानी गई है। इसका कारण यह है कि संसार में सभी प्रकार के पापों का कारण मोह माना गया है। विधि-विधान से इस एकादशी का व्रत रखने पर मोह का बंधन ढीला हो जाता है और मनुष्य ईश्वर का सानिध्य प्राप्त कर लेता है। इससे मृत्यु के बाद नर्क की कठिन यातनाओं का दर्द नहीं सहना पड़ता है। मोहिनी एकादशी के विषय में शास्त्र कहते हैं कि," त्रेता युग में जब भगवान विष्णु रामावतार लेकर पृथ्वी पर आए तब इन्होंने भी गुरू वशिष्ठ मुनि से इस एकादशी के विषय में ज्ञान प्राप्त किया।" 
 
 
संसार को इस एकादशी का महत्व समझाने के लिए भगवान राम ने स्वयं भी यह एकादशी व्रत किया। द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने पांडु पुत्र युधिष्ठिर को इस व्रत को करने की सलाह दी थी।
 
 
जिस दिन भगवान विष्णु मोहिनी रूप में प्रकट हुए थे, उस दिन एकादशी तिथि थी। भगवान विष्णु के इस मोहिनी रूप की पूजा मोहिनी एकादशी के दिन की जाती है। इस एकादशी को संबंधों में आई दरार को दूर करने वाला भी माना गया है।
 
 
पंडित विशाल दयानन्द शास्त्री
vastushastri08@hotmail.com
 
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