मरने के बाद ऐसे लोग बनते हैं अजगर और चींटीयां

Thursday, Oct 01, 2015 - 09:43 AM (IST)

श्री वल्लभाचार्य जी शिष्यों सहित यात्रा कर रहे थे। रास्ते में एक अधमरा सा अजगर मरा पड़ा था जिसे करोड़ो चींटीयां खा रही थी। उसे देखकर श्री वल्लभाचार्य मौन होकर आगे चल दिए। तीन दिन बाद उनके प्रिय शिष्य श्रीदामोदर ने आचार्यपाद से उनके मौन का कारण पूछा।

श्री वल्लभाचार्यपाद ने कहा, ''''वह अजगर पूर्व जन्म में एक महंत गुरू था जिसने धन-संपत्ति बटोरने के लिए असंख्य लोगों को दीक्षा देकर शिष्य बनाया था। इसने उनको भक्ति-साधन में लगाने का कोई प्रयास नहीं किया। आज वही शिष्य चींटीयां बनकर, अजगर बनें उस गुरू के शरीर को खा रहे हैं।''''

आज के समय में भी बहुत से तथाकथित गुरु इस प्रकार ही कर रहे हैं। मैं उनके भविष्य के बारे में सोचकर ही मौन हूं। 

श्री बी.एस. निष्किंचन जी महाराज

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