राज की बात: लोग मोटे क्यों हो जाते हैं विवाह के बाद?

punjabkesari.in Wednesday, Sep 09, 2015 - 03:18 PM (IST)

विवाह उपरांत हर व्यक्ति के जीवन में अनेक बदलाव आते हैं। यह बदलाव मानसिक व शारीरिक स्तर के साथ-साथ स्वभाव व आदतों में भी आते हैं परंतु अधिकतर शादीशुदा दंपतियों में एक समस्या विवाह के बाद अकस्मात जन्म लेती है वो है वज़न का बढ़ना। आपने देखा होगा लगभग 25 प्रतिशत लोगों के विवाह उपरांत काया ही बदल जाती है अर्थात विवाह के बाद कई ऐसे कपल्स हैं जिनमें पति या पत्नी का वजन एकदम से बढ़ने लगता है। हर व्यक्ति अपने विवाहित पार्टनर को सुडौल व आकर्षक देखना चाहता है जिससे के उसके दांपत्य व यौन जीवन में हमेशा आनंद, प्रमोद व उत्साह बना रहे परंतु ऐसा विवाह के बाद अकसर कई लोगों का मोटापा बढ़ने लगता है। यही मोटापा तलाक या पार्टनर के विवाहेतर संबंधों का कारण भी बनता है। यूं तो वजन बढ़ने के आनुवंशिक व आदतन कई कारण हैं, जैसे की अधिक वसा युक्त जंक फूड खाना परंतु इस लेख के माध्यम से हम अपने पाठकों को ज्योतिषीय माध्यम से बताते हैं की लोग मोटे क्यों हो जाते हैं विवाह के बाद?

विवाह उपरांत मोटापे के वैज्ञानिक कारण भी हैं जैसे बच्चों के जन्म देने पर महिला का वजन बढ़ना। यौन जीवन में सक्रियता के कारण व्यायाम हेतु टाईम मैनेजमेंट न कर पाना या विवाह के बाद दावतों में बेहिसाब गरिष्ठ भोजन खाना। आनुवांशिक दृष्टि से पुरुष या महिला के शरीर में एस्ट्रोजन, प्रोजेस्ट्रोन व टेस्टोस्टेरोन हार्मोनस का असंतुलन होना। वैदिक ज्योतिष के कालपुरुष सिद्धान्त अनुसार व्यक्ति के शरीर के सभी अंगों को 12 भावों, 12 राशियां, 9 ग्रहों व 27 नक्षत्र संचालित करते हैं परंतु ज्योतिषी दृष्टि से विवाह उपरांत मोटापा बढ्ने का मूल कारण है कुंडली के 2, 5, 7, 8 व 12 भावो और इनके स्वामियों की असंतुलित होना है। कुंडली का दूसरा भाव (सुखेश) सुख व कलत्र को संभोधित करता है। पंचम भाव (पंचमेश) पेट, प्रेम व संतान को संबोधित करता है। सप्तम भाव (सप्तमेश) विवाह व यौन क्रीडा व प्रणय को संबोधित करता है। अष्टम भाव (अष्टमेश) जननांगों व भोग को संबोधित करता है। द्वादश भाव (व्य्येश) हार्मोनलव व शयन गतिविधि को संबोधित करता है।

विवाह उपरांत दूसरे भाव व सुखेश के असंतुलन से थायराइड ग्रंथि अपेक्षाकृत कम स्राव देती है। थायराइड ग्रंथि व्यक्ति के बेसल रेट ऑफ़ मेटाबोलिज्म (बी.एम.आर) को संचालित करती है। जिसके अपेक्षाकृत कम स्राव देने से व्यक्ति का वजन बढ़ता है। पंचम भाव व पंचमेश के असंतुलन से व्यक्ति को भूख ज़्यादा लाग्ने लगती है अथवा स्त्री गर्भ धरण करती है जिससे वजन बढ़ता है। सप्तम भाव व सप्तमेश के असंतुलन से व्यक्ति अत्यधिक काम क्रीडा में लिप्त होता है जिससे हार्मोनस के अत्यधिक स्राव से वजन बढ़ता है। अष्टम भाव व अष्टमेश के असंतुलन से जननेन्द्रिय व गर्भाशय में अत्यधिक सक्रियता आती है जिससे व्यक्ति अपनी पूरी ऊर्जा काम क्रीडा में लगता है तथा ऊर्जा के हास में व्यायाम नहीं कर पाता। द्वादश भाव व व्य्येश के असंतुलन से शयन कक्ष की गतिविधि बढ्ने से तथा एस्ट्रोजन, प्रोजेस्ट्रोन व टेस्टोस्टेरोन हार्मोनस के असंतुलन से व्यक्ति का मोटापा बढ़ता है। विवाह उपरांत भक्ति का भाग्य उदय होता है जिससे वृहस्पति अधिक सक्रिय होता है। बृहस्पति की अधिक सक्रियता भी मोटापा बढंने का बहुत बड़ा कारण है।

आचार्य कमल नंदलाल

ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com


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