अगले जन्म में आप क्या बनना चाहेंगे और क्यों?

punjabkesari.in Tuesday, Sep 01, 2015 - 09:39 AM (IST)

एक 90 वर्षीय महिला से किसी ने पूछा कि अगले जन्म में आप क्या बनना चाहेंगी और क्यों? उस महिला ने जवाब दिया मैं अपनी जिंदगी में सफल रही, मेरी जिंदगी बहुत अच्छे से गुजरी और अगले जन्म में यही स्वरूप लेकर पैदा होना चाहूंगी। कारण यह है कि मैंने इस जन्म में बहुत-सी ऐसी चिंताएं और डर पाले जो कभी घटित ही नहीं हुए या यूं कहें कि उनके घटने की संभावनाएं न्यूनतम थीं। 

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इन चिंताओं के कारण मैंने अपनी जिंदगी में बहुत सी चीजों का मजा नहीं लिया बहुत सी चीजें नहीं सीखी, मैं अगले जन्म में और उन चीजों का सुख उठाना चाहती हूं। इस जन्म की कुछ चिंताएं मुझे रहती थीं कि यदि मैं रोलर-कोस्टर में बैठी तो मैं गिरकर मर जाऊंगी। यदि मैं कार चलाऊंगी तो किसी को दबा दूंगी। बेबुनियादी चिंता के कारण बहुत-सी चीजों से मैं वंचित रही। कहीं ऐसा तो नहीं हम भी अपनी जिंदगी की ढलान पर जब पलटकर देखें तो हमें भी ऐसा न महसूस हो कि बेकार की चिंता ने हमारे बहुत से सुनहरे पल हमसे छीन लिए थे। सचमुच हम इतनी सारी चिंताएं पाल लेते हैं कि हमें जिंदगी साफ नहीं दिखाई देती। इस वजह से हम खुलकर अपने कार्यों को गति नहीं दे पाते। हमारे सिर पर भय का बोझ हमारी सोचने की क्षमता और कार्य की गतिशीलता बहुत कम कर देता है।

 हकीम लुकमान के बारे में कहा जाता था कि वे जब पहाड़ों, जंगलों में औषधि की जड़ी-बूटी लेने जाते थे तो वन औषधि उनसे कहती थी कि मुझे ले लो मैं पेटदर्द के काम आऊंगी तो कोई औषधि पौधा कहता था कि मेरा उपयोग आंख की रोशनी तेज करने में कर सकते हो। कहने का मतलब यह है कि हर बीमारी के इलाज हेतु वे जंगल से जड़ी-बूटी ले आते थे परंतु चिंता की बीमारी का इलाज उन्हें भी नहीं मिला। यह कहावत बन गई कि चिंता का इलाज हकीम लुकमान के पास भी नहीं था।

हर आदमी को घबराना नहीं चाहिए, उसे धीरज रखकर हल ढूंढना चाहिए। ऐसा करना कठिन जरूर है पर असंभव नहीं। धीरे-धीरे हम अपनी आदतों पर नियंत्रण कर सकते हैं। हम पर जब विपत्ति आए, कोई समस्या आए, कोई नुक्सान हो तो हमें चिंता करने की जगह चिंतन करना चाहिए। हमें परिस्थिति का सामना अच्छी तरह से करना चाहती। 

चिंता एक तरह से आदमी की ताकत को निचोड़ती है जबकि चिंतन शक्ति का सही दिशा में उपयोग का रास्ता बता सकता है। इसलिए जिंदगी में चिंता छोड़ चिंतना करना शुरू करें।


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