भय से भागें नहीं सामना करें

punjabkesari.in Sunday, Aug 30, 2015 - 04:20 PM (IST)

जब हम अपने भय से नजरें चुराते हैं तो वह हमें और भी डराता है । भय पर विजय पाने के लिए हमें उसकी आंखों में आंखें डालकर देखना होगा । तभी हम दुनिया की खूबसूरती का पूर्णतय: के साथ अहसास कर सकते हैं ।अधिकतर लोगों का जीवन सुखद और दुखद घटनाओं से भरा होता है । ज्यादातर लोगों का मूल स्वभाव खुश रहने वाला होता है ।यानी लोग खुश रहना चाहते हैं लेकिन वे ऐसा करने में इसलिए विफल रहते हैं क्योंकि खुशी के ऊपर हमेशा एक भय भी हावी रहता है ।

हमारे मन में अनेक प्रकार की आशंकाएं बनी रहती हैं ।जैसे खुशी का यह क्षण बीत जाएगा या हम जो चाहते हैं वह नहीं मिलेगा या हम जिससे प्यार करते हैं उसे खो देंगे या हम सुरक्षित नहीं रहेंगे । इस तरह के तमाम भय के कारण हम खुशी के तमाम वातावरण से घिरे रहने के बाद भी पूरी तरह से खुश नहीं रह पाते हैं । हम यह सोचते हैं कि यदि भय को नजरअंदाज कर देंगे तो वह चला जाएगा। हम भय से भागते रहते हैं लेकिन वह हमें नहीं छोड़ता । सच यह है कि यदि हम अपनी चिंताओं और अधीरता को अपने अचेतन में दफन कर दें तब भी वे हम पर असर डालती रहती हैं ।

भय को दूर करने के लिए हमें अपने भय की आंख में आंख मिलाकर देखना होगा । उसके बाद भय हमारे ऊपर हावी नहीं रह पाएगा। भय से नजरें चुराने से वह हम पर हावी होता है। यदि हम अपने भय को पहचान सकें तो हमें यह आभास हो जाएगा कि फिलहाल हम ठीक हैं। अपने भय को देखने-समझने का पहला चरण यह है कि इसे बिना किसी निर्णय पर पहुंचे अपनी चेतना के भीतर आमंत्रित किया जाए। हमें बस यह स्वीकार करना होगा कि भय वहां है।

इसी से काफी राहत मिल जाएगी। एक बार जब हमारा डर शांत हो जाएगा तो हम इसका सामना कर सकेंगे और गहराई से इसकी वजह, इसके स्रोत तक जा सकेंगे।यदि आप डर को दबी हुई जगह से बाहर लाने की आदत बना लें तो महसूस करेंगे कि आप अब भी जीवंत हैं। आपके पास अब भी खुश होने के लिए बहुती-सी चीजें हैं। यदि आप डर का सही तरीके से प्रबंधन कर रहे हैं तो आप सूरज की रोशनी, कोहरा, हवा और जल सबका आनंद ले सकते हैं। तब आप एक बहुमूल्य जीवन जी सकते हैं।


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