मानो या ना मानो: सूरज ढलने के बाद यहां रूहे बसा लेती हैं अपना बसेरा (Pics)

punjabkesari.in Tuesday, May 24, 2016 - 12:16 PM (IST)

गरुड़ पुराण के अनुसार जिन लोगों की मृत्यु पश्चात विधानपूर्वक से क्रिया-कर्म अौर दाह-संस्कार न किया जाए उनकी आत्मा भूत बनकर भटकती रहती है। यदि व्यक्ति के मृत्यु पूर्व उसकी कुछ इच्छाएं अौर अरमान रह जाएं तब भी अात्मा भटकती रहती है अौर मृत्यु वाले स्थान पर अपनी मौजूदगी का एहसास दिलाती रहती हैं। ऐसे स्थानों पर नकारात्मक ऊर्जा प्रबल रूप से वास करती हैं अौर उस जगह आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। उत्तराखंड में एक ऐसा ही भूतिया स्थान है। जिसे शापित माना जाता है और वहां के लोगों का मानना है कि यहां रुहों का बसेरा है। इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो कहना मुश्किल है लेकिन उस स्थान से आपको रूबरू करवाते हैं।

 

उत्तराखंड़ के चंपावत जिले के लोहाघाट में अबूट पर्वत है। इस पर्वत में एक ऐबे नाम की कोठी है। जहां भूतों का बसेरा है। सूरज ढलने के बाद यहां कोई नहीं जाता। वहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां बुरी आत्माएं दिखाई देती हैं। आए दिन वहां कुछ न कुछ घटित होता रहता है। 

 

यह बंगला ब्रिटिश काल में बनाया गया था। इसके मालिक ने इस बंगले को किसी चैरिटेबल अस्पताल को दे दिया था। उसके बाद से इस जगह के बुरे दिन शुरु हो गए थे। पहले ये अस्पताल अपने अच्छे इलाज के लिए प्रसिद्ध था लेकिन एक डॉक्टर के वहां आने से संदिग्‍ध गतिविधियां होने लगी। वह डॉक्टर लोगों की मौत की भविष्यवाणी करता था। वह बताता था कि इंसान की मृत्यु कब होगी अौर उसके द्वारा बताए गए दिन व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त हो जाता था। 

 

दरअसल अस्पताल में एक कमरा था जिसे ‘मुक्ति बोध’ कोठरी के नाम से जाना जाता था। वह डॉक्टर मरीजों के पास जाकर उनकी मृत्यु की भविष्यवाणी करता था अौर मृत्यु से पहले उस इंसान को उस कोठरी में ले जाता था अौर उनकी मृत्यु हो जाती थी। वहां के लोगों का मानना है कि उसके पास भविष्यवाणी करने की कोई शक्ति नहीं थी। वह अपनी बात को साबित करने के लिए लोगों को उस कमरे में ले जाकर मार देता था। अब ऐबे बंगले में उन मरे हुए लोगों की आत्माएं घूमती हैं अौर लोगों को दिखाई देती हैं। उन भटकती आत्माअों के कारण ही यहां नकारात्मक ऊर्जा फैली है।

 

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