छत्तीसगढ़: रेंगानार गांव के सभी पात्र लोगों ने टीके की पहली खुराक ली, राज्य का पहला ऐसा गांव बना
punjabkesari.in Wednesday, Jun 16, 2021 - 04:15 PM (IST)
रायपुर, 16 जून (भाषा) छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले का रेंगानार गांव राज्य का पहला ऐसा गांव बन गया है, जहां के सभी पात्र ग्रामीणों को कोरोना वायरस से बचाव के टीके की पहली खुराक लग चुकी है। राज्य के जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों ने बुधवार को यहां यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि जिला मुख्यालय दंतेवाड़ा से लगभग 20 किलोमीटर दूर नकुलनार रोड पर स्थित आदिवासी बहुल रेंगानार गांव में 18 वर्ष से अधिक उम्र के 310 लोग रहते हैं। टीकाकरण के लिए पात्र वहां के सभी 294 लोगों ने कोरोना से बचाव में टीके के महत्व को समझते हुए इसकी खुराक ली है।
उन्होंने बताया कि गांव में 45 वर्ष से अधिक उम्र के ग्रामीणों और 18 से 44 वर्ष के युवाओं को टीके के प्रति जागरूक करने में स्थानीय स्वास्थ्य कर्मियों और जागरूकता दल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अपनी लगातार कोशिशों से वे ग्रामीणों को समझाने में कामयाब रहे कि कोरोना से बचने के लिए अभी टीका ही सबसे प्रभावी उपाय है।
अधिकारियों ने बताया कि रेंगानार ने राज्य के सामने मिसाल कायम की है। टीकाकरण के माध्यम से कोरोना को मात देने में गांव का हर वयस्क सदस्य योगदान दे रहा है। शहरी क्षेत्रों के उलट वहां लोगों के पास स्मार्ट फोन और इंटरनेट की काफी सीमित उपलब्धता के कारण शत-प्रतिशत टीकाकरण आसान नहीं था। हालांकि, टीकाकरण के प्रति ग्रामीणों के उत्साह तथा स्वास्थ्यकर्मियों और जागरूकता दल की लगातार कोशिशों से रेंगानार गांव ने यह लक्ष्य हासिल कर लिया।
उन्होंने बताया कि दंतेवाड़ा जिला प्रशासन द्वारा टीकाकरण की शुरूआत में गांववालों के लिए कुआंकोण्डा क्षेत्र में कई सत्र आयोजित किए गए। लेकिन भ्रांतियों और जागरूकता की कमी के कारण कम लोग ही टीका लगवा रहे थे। तब रेंगानार गांव की सरपंच सनमति तेलामी और स्थानीय कोरोना जागरूकता दल ने लोगों को जागरूक कर टीकाकरण के लिए तैयार किया।
रेंगानार पंचायत के जागरूकता टीम के सदस्य संतराम बताते हैं कि शुरू में टीके को लेकर लोगों में हिचकिचाहट थी। समझाने के बाद उनका डर दूर हुआ और लोगों ने टीका लगाने के लिए हामी भरी। स्वास्थ्य विभाग की कोशिशें रंग लायीं और पहले ही दिन रेंगानार गांव के 18 वर्ष से अधिक के 125 युवाओं ने उत्साहपूर्वक टीका लगवाया। गांव में वयस्कों की आबादी 310 में से टीकाकरण के लिए पात्र सभी 294 व्यक्तियों को कोरोना से बचाव का पहला टीका लग चुका है।
संतराम ने बताया कि इस अभियान में दिव्यांगजनों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उन्होंने खुद टीका लगवाया और अन्य लोगों को भी प्रेरित किया। रेंगानार गांव में टीकाकरण के निरीक्षण और सत्यापन के लिए पहुंची जिला स्तरीय टीम को जब पता चला कि गंभीर बीमारियों से पीड़ित कुछ व्यक्ति टीकाकरण में असमर्थता दिखा रहे हैं तब उन्होंने तत्काल घर-घर जाकर समझाया और उन्हें टीके लगवाए।
उन्होंने बताया कि दंतेवाड़ा जिले में नागरिकों को टीकाकरण के प्रति जागरूक करने के लिए हर पंचायत में कोरोना जागरूकता टीम बनाई गई है। यह टीम कोरोना जांच और टीकाकरण पर लगातार नजर रखती है। लोगों से बात कर उनका डर दूर करती है।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि जिला मुख्यालय दंतेवाड़ा से लगभग 20 किलोमीटर दूर नकुलनार रोड पर स्थित आदिवासी बहुल रेंगानार गांव में 18 वर्ष से अधिक उम्र के 310 लोग रहते हैं। टीकाकरण के लिए पात्र वहां के सभी 294 लोगों ने कोरोना से बचाव में टीके के महत्व को समझते हुए इसकी खुराक ली है।
उन्होंने बताया कि गांव में 45 वर्ष से अधिक उम्र के ग्रामीणों और 18 से 44 वर्ष के युवाओं को टीके के प्रति जागरूक करने में स्थानीय स्वास्थ्य कर्मियों और जागरूकता दल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अपनी लगातार कोशिशों से वे ग्रामीणों को समझाने में कामयाब रहे कि कोरोना से बचने के लिए अभी टीका ही सबसे प्रभावी उपाय है।
अधिकारियों ने बताया कि रेंगानार ने राज्य के सामने मिसाल कायम की है। टीकाकरण के माध्यम से कोरोना को मात देने में गांव का हर वयस्क सदस्य योगदान दे रहा है। शहरी क्षेत्रों के उलट वहां लोगों के पास स्मार्ट फोन और इंटरनेट की काफी सीमित उपलब्धता के कारण शत-प्रतिशत टीकाकरण आसान नहीं था। हालांकि, टीकाकरण के प्रति ग्रामीणों के उत्साह तथा स्वास्थ्यकर्मियों और जागरूकता दल की लगातार कोशिशों से रेंगानार गांव ने यह लक्ष्य हासिल कर लिया।
उन्होंने बताया कि दंतेवाड़ा जिला प्रशासन द्वारा टीकाकरण की शुरूआत में गांववालों के लिए कुआंकोण्डा क्षेत्र में कई सत्र आयोजित किए गए। लेकिन भ्रांतियों और जागरूकता की कमी के कारण कम लोग ही टीका लगवा रहे थे। तब रेंगानार गांव की सरपंच सनमति तेलामी और स्थानीय कोरोना जागरूकता दल ने लोगों को जागरूक कर टीकाकरण के लिए तैयार किया।
रेंगानार पंचायत के जागरूकता टीम के सदस्य संतराम बताते हैं कि शुरू में टीके को लेकर लोगों में हिचकिचाहट थी। समझाने के बाद उनका डर दूर हुआ और लोगों ने टीका लगाने के लिए हामी भरी। स्वास्थ्य विभाग की कोशिशें रंग लायीं और पहले ही दिन रेंगानार गांव के 18 वर्ष से अधिक के 125 युवाओं ने उत्साहपूर्वक टीका लगवाया। गांव में वयस्कों की आबादी 310 में से टीकाकरण के लिए पात्र सभी 294 व्यक्तियों को कोरोना से बचाव का पहला टीका लग चुका है।
संतराम ने बताया कि इस अभियान में दिव्यांगजनों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उन्होंने खुद टीका लगवाया और अन्य लोगों को भी प्रेरित किया। रेंगानार गांव में टीकाकरण के निरीक्षण और सत्यापन के लिए पहुंची जिला स्तरीय टीम को जब पता चला कि गंभीर बीमारियों से पीड़ित कुछ व्यक्ति टीकाकरण में असमर्थता दिखा रहे हैं तब उन्होंने तत्काल घर-घर जाकर समझाया और उन्हें टीके लगवाए।
उन्होंने बताया कि दंतेवाड़ा जिले में नागरिकों को टीकाकरण के प्रति जागरूक करने के लिए हर पंचायत में कोरोना जागरूकता टीम बनाई गई है। यह टीम कोरोना जांच और टीकाकरण पर लगातार नजर रखती है। लोगों से बात कर उनका डर दूर करती है।
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