मानव सम्बन्धों को आईना दिखाती ''सम्बन्ध'', मिल सकते हैं इन प्रश्नों के उत्तर

Wednesday, Feb 02, 2022 - 06:34 PM (IST)

पेंगुइन बुक्स द्वारा प्रकाशित 'कर्म' के लेखक एवं वेदांत शिक्षक के रूप में प्रसिद्ध आचार्य प्रशांत की एक और पुस्तक 'सम्बन्ध: और क्या है जीवन?' प्रकाशित हुई है। 40 अध्यायों में बंटी इस किताब में मानव सम्बन्धों के लगभग सभी पहलुओं पर विस्तार में बात की गई है। इस पुस्तक में आचार्य के साथ हुए उनके श्रोताओं के संवादों का एक संग्रह है। इसकी विशेष संरचना इसे अन्य आध्यात्मिक किताबों से अलग बनाती है। संवादों पर आधारित आध्यात्मिक पुस्तकें पढ़ने का जिन्हें कोई पूर्व अनुभव न हो, उन्हें शुरुआत में थोड़ी कठिनाई अवश्य हो सकती है। 

किन आधारों पर खड़े होते हैं हमारे सम्बन्ध? क्यों अक्सर हमारे प्रेम सम्बन्ध हमें चोटिल कर जाते हैं। दुख और अवसाद दे जाते हैं? क्या सम्बन्ध अकेलापन मिटाने के ज़रिए हो सकते हैं? मानव का प्रकृति के साथ सम्बन्ध कैसा होना चाहिए? क्या कामवासना प्रेम बन सकती है? लेखक अध्याय-दर-अध्याय ऐसे 40 प्रश्नों का विस्तार में उत्तर देते हैं। 

प्रेम एक ऐसा विषय है जिसपर सभी दार्शनिकों एवं सन्तों ने जीवन भर बोला है। आचार्य प्रशांत भी इस किताब में लगभग हर अध्याय में प्रेम की जनसामान्य में प्रचलित परिभाषा का खंडन करते दिखते हैं। मानो, कह रहे हों कि प्रेम की विकृत परिभाषा रखते हुए, मानव सम्बन्धों को समझा या निभाया नहीं जा सकता।

इस किताब का वर्तमान संस्करण कई मामलों में कमज़ोर भी मालूम होता है। दो बदलाव इसके अगले संस्करण में अवश्य किये जाने चाहिए। पहला, इसमें 'परिचय' अध्याय जोड़ा जाना चाहिए, और आचार्य प्रशांत द्वारा इस्तेमाल किए गए वेदान्त सम्बन्धी शब्दों को स्पष्ट करने हेतु एक 'शब्दकोश' भी किताब की शुरुआत में ही जुड़ना चाहिए।

जो युवा अपने जीवन में नए सम्बन्धों को आमंत्रण दे रहे हों, उनके लिए, या वे गृहणियां जो अपने समय का एक बड़ा हिस्सा सम्बन्धों के बीच सामंजस्य बनाने में बिताती हों, उनके लिए यह किताब अनिवार्य मालूम होती है।

Deepender Thakur

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