आचार्य चाणक्य की यह सीख आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितने उस दौर में थी

Saturday, Dec 26, 2015 - 11:46 AM (IST)

प्रकृति कोप: सर्वकोपेयो गरीयान।

प्रकृति का कोप सभी कोपों से बड़ा होता है राज्य-संचालन में सभी को प्रसन्न रखना एक राजा के लिए सबसे कठिन कार्य होता है। जिस प्रकार राजा अपने राज्य को शत्रु, षडयंत्रों और गृह-कलह से तो बचा सकता है, पर प्रकृति के कोप से नहीं बचा सकता। 

जैसे यदि कहीं पर भूकंप आ जाए, बाढ़, चक्रवात और किसी प्रकार की कोई महामारी जैसी प्राकृतिक आपदा आ जाए, तो इन परिस्थितियों में बचाव के अतिरिक्त कुछ नहीं किया जा सकता। यही कारण है कि चाणक्य ने प्रकृति के कोप को सभी कोपों से बढ़कर बताया है।

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