चाणक्य नीति: आलसी और निकम्मे लोग अपने को बना लेते हैं ऐसा

Thursday, Sep 15, 2016 - 09:38 AM (IST)

आचार्य चाणक्य की नीतियां विश्व प्रसिद्ध हैं। चाणक्य बुद्धिमान व्यक्ति थे। उन्होंने अपने ज्ञान को स्वयं तक सीमित नहीं रखा बल्कि ज्ञान को चाणक्य नीति में लिखकर अपनी आने वाली पीढ़ियों को भी दिया। उन्होंने  ‘चाणक्य नीति’, अर्थशास्त्र राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाज नीति आदि महान ग्रंथों की रचना की। चाणक्य जीवन दर्शन के ज्ञाता थे। उन्होंने अपने जीवन से प्राप्त अनुभवों से नियमों का निर्माण कर उन्हीं का लोगों को उपदेश दिया। उनके द्वारा बनाई गई नीतियों का अनुसरण करने से व्यक्ति को कभी भी बुरे दिनों का सामना नहीं करना पड़ता। आचार्य चाणक्य की नीतियों का अनुसरण कर साधारण बालक चंद्रगुप्त मगध का सम्राट बना था। चाणक्य ने जीवन की प्रत्येक परिस्थियों से संबंधित नीतियां बनाई हैं। चाणक्य के अनुसार जो लोग परिस्थियों से घबराते हैं, वे कार्यों में सफलता प्राप्त नहीं कर पाते हैं। परिस्थितियों से डर कर मुंह मोडंने वाला व्यक्ति कायर होता है।  


आचार्य चाणक्य कहते हैं -


अशक्तस्तु भवेत्साधुब्र्रह्मचारी च निर्धन:।

व्याधिष्ठो देवभक्तश्च वृद्धा नारी पतिव्रता।।


अर्थ : शक्तिहीन मनुष्य साधु होता है, धनहीन व्यक्ति ब्रह्मचारी होता है, रोगी व्यक्ति देवभक्त और बूढ़ी स्त्री पतिव्रता होती है।


भावार्थ : भाव यह है कि ये सभी लोग असमर्थ रहने के कारण से ही ऐसे हैं। अत: जो व्यक्ति प्रयास नहीं करता, परिश्रम नहीं करता, वह आलसी और निकम्मा होकर अपने को ऐसा बना लेता है। परिस्थितियों से घबरा कर मुंह मोड़ लेना कायर मनुष्य का काम है। व्यक्ति को तो चाहिए कि वह अपना कार्य पूरे मनोयोग से करे। सच्चे अर्थों में वही धर्म भी है। 

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