सदैव बनी रहेगी लक्ष्मीकृपा, करें चाणक्य की इन बातों पर अमल

Tuesday, Sep 13, 2016 - 09:17 AM (IST)

आचार्य चाणक्य का जन्म आज से करीब 2400 वर्ष पूर्व हुआ था। उन्होंने चाणक्य नीति जैसे ग्रंथ में अपने जीवन से प्राप्त अनुभवों का उल्लेख किया। 17 अध्यायों वाले इस ग्रंथ में चाणक्य ने व्यक्ति जीवन के प्रत्येक पहलुअों का वर्णन किया है। चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को सदैव धन की आवश्यकता रहती है। धन से ही जीवन यापन की प्रत्येक सुविधाएं ले सकते हैं। जिस व्यक्ति के पास धन की कमी होती है उसे आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कुछ लोग अधिक मेहनत करते हैं फिर भी उन्हें पर्याप्त मात्रा में धन नहीं मिल पाता। चाणक्य ने तीन बातों के बारे में बताया है यदि उनका पालन किया जाए तो लक्ष्मीकृपा सदैव बनी रहती है।

 

चाणक्य कहते हैं-

मूर्खा यत्र न पूज्यन्ते धान्यं यत्र सुसन्चितम्।

दाम्पत्ये कलहो नास्ति तत्र श्री: स्वयमागता।।

 

बुद्धिमान लोगों का सम्मान

आचार्य चाणक्य के अनुसार जिन के घरों में मूर्ख लोगों की अपेक्षा बुद्धिमान लोगों का सम्मान किया जाता है। घर आने पर उनका अच्छे से आदर सत्कार किया जाए उनके घर में लक्ष्मी सदैव स्थिर रहती हैं।



मेहमानों का करें सम्मान

जिनके घरों में अनाज के भंड़ार भरे रहते हैं। जिस घर से कोई भी व्यक्ति भूखा या खाली हाथ नहीं लौटता हो, जहां मेहमानों को भगवान का स्वरूप मान कर उनका आदर सत्कार किया जाता है। जिस घर में सात्विक भोजन किया जाए वहां लक्ष्मी सदैव निवास करती हैं। 


पति-पत्नी के मध्य प्रेम

जिन घरों मे पति-पत्नी के मध्य सदैव लड़ाई-झगड़े होते रहते हो वहां से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है। इसके विपरीत जिस घर में पति और पत्नी के बीच प्रेम हो, लड़ाई-झगड़ा नहीं होता, वहां से लक्ष्मी नहीं जाती। ऐसे स्थानों पर लक्ष्मी सदैव स्थिर रहती हैं।

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