चाणक्य नीति सूत्र: कुछ इस तरह का होता है True Love
Saturday, Mar 12, 2016 - 01:34 PM (IST)
दूरस्थोऽपि न दूरस्थो यो यस्य मनसि स्थित:।
यो यस्य हृदये नास्ति समीपस्थोऽपि दूरत:।
व्याख्या : सच्चा प्रेम हृदय से होता है, उसमें दूरी का अथवा निकटता का कोई व्यवधान नहीं होता। सच्चे प्रेम में प्रिय हर समय आंखों के सम्मुख ही रहता है परंतु जो जिसके हृदय में नहीं है, वह समीप रहते हुए भी दूर है।