आलसी और निकम्मे लोगों का व्यवहार होता है ऐसा, आप इनकी श्रेणी में तो नहीं आते

Friday, Nov 13, 2015 - 12:54 PM (IST)

घबराना कायरों का कार्य

अशक्तस्तु भवेत्साधुब्र्रह्मचारी च निर्धन:।

व्याधिष्ठो देवभक्तश्च वृद्धा नारी पतिव्रता।।

अर्थ : शक्तिहीन मनुष्य साधु होता है, धनहीन व्यक्ति ब्रह्मचारी होता है, रोगी व्यक्ति देवभक्त और बूढ़ी स्त्री पतिव्रता होती है।।६।।

भावार्थ : भाव यह है कि ये सभी लोग असमर्थ रहने के कारण से ही ऐसे हैं। अत: जो व्यक्ति प्रयास नहीं करता, परिश्रम नहीं करता, वह आलसी और निकम्मा होकर अपने को ऐसा बना लेता है। परिस्थितियों से घबरा कर मुंह मोड़ लेना कायर मनुष्य का काम है। व्यक्ति को तो चाहिए कि वह अपना कार्य पूरे मनोयोग से करे। सच्चे अर्थों में वही धर्म भी है।

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