जवानी रखनी है बरकरार तो मानें चाणक्य की ये बात

Monday, Sep 28, 2015 - 11:45 AM (IST)

अध: पश्यसि किं बाले! पतितं तव किं भुवि।
रे रे मूर्ख! न जानासि गतं तारुण्यमौकित्कम्।।
 
अर्थ : नीचे की ओर देखती एक अधेड़ वृद्ध स्त्री से कोई पूछता है-‘हे बाले! तुम नीचे क्या देख रही हो? पृथ्वी पर तुम्हारा क्या गिर गया है?’
 
तब वह स्त्री कहती है-‘‘रे मूर्ख! तुम नहीं जानते, मेरा युवावस्था रूपी मोती नीचे गिरकर नष्ट हो गया है।
 

अर्थात जवानी एक बार चली जाए तो फिर लौट कर नहीं आती। यह देखकर अपने यौवन को सत्कर्मों में लगाना चाहिए। 

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