स्वर्ग घर में ही है

Sunday, Aug 30, 2015 - 11:28 AM (IST)

यदि रामा यदि च रमा यद्यपि तनयो विनयगुणोपेत:।
यदि तनये तनयोत्पत्ति : सुरवरनगरे किमाधिक्यम्।।


अर्थ :यदि स्त्री सुंदर हो और घर में लक्ष्मी हो, पुत्र विनम्रता आदि गुणों से युक्त हो और पुत्र का पुत्र घर में हो तो इससे बढ़ कर सुख तो इंद्रलोक में भी नहीं । ऐसी स्थिति में स्वर्ग घर में ही है।।16।।

भावार्थ : आचार्य चाणक्य ने प्रस्तुत श्लोक में बताया है कि उत्तम पत्नी, आवश्यक धन-धान्य, सुशील पुत्र और पोते आंगन में खेल रहे हों तो यही सब स्वर्गिक आनंद है।आचार्य का सुंदर पत्नी से आशय सिर्फ रूप की सुंदरता से ही नहीं गुण की सुंदरता से भी है। गुण की सुंदरता महान बताई गई है ।पत्नी यदि पति धर्म निभाने वाली हो तो तभी पुरुष के लिए पृथ्वी स्वर्ग समान है । इसी प्रकार पुत्र आदि आज्ञाकारी हो तभी पुत्र का होना सार्थक है । अन्यथा यह पृथ्वी स्वर्ग के बजाय नर्क समान बन जाती है।

 
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