पुण्य कर्मों का फल उत्तम

Sunday, Jul 26, 2015 - 01:05 PM (IST)

नाऽन्नोदकसमं दानं न तिथिद्र्वादशी समा।
न गायत्र्या: परो मंत्रो न मातुपरं दैवतम्।।

व्याख्या : अन्नदान व जलदान से बड़ा कोई अन्य दान नही द्वादशी तिथि पर किए पुण्य कर्मों का फल उत्तम होता है, गायत्री मंत्र श्रेष्ठ फल देने वाला है और मां का आशीर्वाद सभी इच्छाएं पूर्ण करने वाला है। मां के दूध का ऋण उतारना असंभव है। आचार्य चाणक्य के इस कथन को ध्यान में रख कर चलने वाला मनुष्य सदा अच्छा फल पाता है।

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