बुद्धिमान व्यक्ति की पहचान

Friday, Jul 03, 2015 - 04:18 PM (IST)

सुसिद्धमौषधं धर्मं गृहच्छिद्रं च मैथुनम्।
कुभुक्तं कुश्रुतं चैव मतिमान्न प्रकाशयत्।।


व्याख्या : बुद्धिमान वही है जो अति सिद्ध दवा को, धर्म के रहस्य को, घर के दोष को, मैथुन अर्थात संभोग की बात को स्वादहीन भोजन को और अतिकष्टकारी मृत्यु को किसी को न बताए । 

भाव यह है कि कुछ बातें ऐसी होती हैं जिन्हें समाज में छिपाकर ही रखना चाहिए। आचार्य चाणक्य ने प्रस्तुत श्लोक के माध्यम से इस बात को बताया है कि छुपाने योग्य बातों को न छुपाकर मनुष्य समाज में हंसी का पात्र बनता है, कुछ मामलों में नुक्सान उठाता है ।

 
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