साधना से मनोवांछित सिद्धि है संभव

Sunday, Jun 28, 2015 - 01:49 PM (IST)

यद्दूरं यद्दुराराध्यं यच्च दूरे व्यवस्थितम्।
तत्सर्व तपसा साध्यं तपो हि दुरतिक्रमम्।।


अर्थ : तप में असीम शक्ति है । तप के द्वारा सभी कुछ प्राप्त किया जा सकता है । जो दूर है, बहुत अधिक दूर है, जो बहुत कठिनता से प्राप्त होने वाला है और बहुत दूरी पर स्थित है, ऐसे साध्य को तपस्या के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है । तप के द्वारा तो ईश्वर को भी प्राप्त किया जा सकता है । अत: जीवन में साधना का विशेष महत्व है । इसके द्वारा ही मनोवांछित सिद्धि प्राप्त की जा सकती है ।।3।।

भावार्थ : आचार्य चाणक्य ने प्रस्तुत श्लोक में बताया है कि तप से कठिन-से-कठिन कार्य सहज बन जाते हैं । तप से मृत्यु पर विजय पाई जा सकती है। तप का अर्थ है विपत्तियां आने पर भी धर्म को न छोडऩा । 

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