दुष्ट के साथ दुष्टता का व्यवहार करना ही ठीक रहता है

Sunday, Jun 21, 2015 - 10:18 AM (IST)

कृते प्रतिकृतं कुर्याद् हिंसने प्रतिहिंसनम्। 
तत्र दोषो न पतति दुष्टे दुष्टं समाचरेत्।।


अर्थ : उपकार का बदला उपकार से देना चाहिए और हिंसा वाले के साथ हिंसा करनी चाहिए । वहां दोष नहीं लगता क्योंकि दुष्ट के साथ दुष्टता का व्यवहार करना ही ठीक रहता है ।।2।।

भावार्थ : आचार्य चाणक्य ने प्रस्तुत श्लोक में कहा है कि यूं तो सबके साथ प्रीतिपूर्वक व्यवहार करना चाहिए पर दुष्ट के साथ प्रीतिपूर्वक व्यवहार करना उसकी दुष्टता को बढ़ावा देना होता है ।

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