भिखारी निंदा योग्य

punjabkesari.in Sunday, May 10, 2015 - 02:07 PM (IST)

तृणं लघु तृणात्तूलं तूलादपि च याचक:।
वायुना किं न नीतोऽसौ मामयं याचयिष्यति।।


अर्थ : तिनका हल्का होता है, तिनके से भी हल्की रूई होती है, रूई से भी हल्का याचक (भिखारी) होता है, तब वायु इसे उड़ाकर क्यों नहीं ले जाती? संभवत: इस भय से कि कहीं यह उससे ही भीख न मांगने लगे।।15।।

भावार्थ : मांगने वाले से सभी डरते हैं कि वह उनसे कुछ मांग न बैठे क्योंकि देना कोई नहीं चाहता। वैसे भी, याचक अर्थात भिखारी निंदा के योग्य ही है ।

 

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