युवराज अब बड़ा हो चुका है और खुद ले सकता है अपने फैसले

Tuesday, Jun 11, 2019 - 11:51 AM (IST)

चंडीगढ़(लल्लन यादव): सिक्सर किंग युवराज सिंह ने सोमवार को क्रिकेट करियर से संन्यास ले लिया। चंडीगढ़ युवी की जन्मभूमि है। यह घोषणा उनके प्रशंसकों सहित नजदीकियों में खासी निराशा और चौकाने वाली रही। संन्यास का ऐलान भी ठीक वल्र्ड कप के समय किया गया। पिता योगराज सिंह ने भावुक अंदाज में मीडिया के साथ बातचीत में कहा कि युवराज अब बड़ा हो चुका है और अपने फैसला खुद ले सकता है। अपने समय के टैस्ट क्रिकेटर रहे योगराज सिंह इस दौरान अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सके। युवी को इंटरनैशनल किक्रेटर बनाने में उनकी भूमिका अहम रही। 

आज जब बेटे ने क्रिकेट को अलविदा कहा तो वे बोले कि उनका बेटा फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है, उस पर कोई पाबंदी नहीं है। उन्होंने तो एक पेड़ तैयार कर दिया था। योगराज सिंह ने बताया कि दो दिन पहले ही उनकी युवराज से बातचीत हुई थी। तब युवी ने अपनी यह इच्छा उनके सामने जाहिर की थी और कहा था कि पापा मैं अब जिदंगी में नई शुरूआत करना चाहता हूं। इस पर उन्होंने बेटे को कहा था कि जैसी तुम्हारी इच्छा।

युवी को टैस्ट मैच कम खेलने का मलाल
उन्होंने आगे बताया कि युवी ने उनके साथ बैठकर संन्यास का फैसला लिया था। ये मेरा और युवराज सिंह का निर्णय था। हम दोनों वल्र्ड कप का ही इंतजार कर रहे थे। योगराज सिंह ने कहा कि अगर युवी वल्र्ड कप के बाद भी खेलना चाहते तो वह उसे खेलने नहीं देते। हम दोनों ने फैसला लिया था कि अगर युवी ये वल्र्ड कप खेलता है तो उसके बाद संन्यास ले लेगा लेकिन उसे टीम में जगह नहीं मिली इसलिए हमने यह निर्णय लिया। वहीं, युवराज ने यह मलाल भी जताया कि पापा मुझे टैस्ट क्रिकेट कम खेलने का मौका मिला। योगराज ने कहा कि युवराज को टैस्ट में स्टैपनी की तरह यूज किया जाता था। जब कोई खिलाड़ी चोटिल हो जाता था तो युवी को मौका दिया जाता था। 

अभी वल्र्ड कप चल रहा है इसलिए कुछ नहीं बोलूंगा
वहीं, योगराज ने कहा कि अभी वल्र्ड कप चल रहा है। उन्होंने जिसके खिलाफ बोलना है, वह वल्र्ड कप के बाद ही बोलेंगे। वर्ष 2015 वल्र्ड कप में युवराज को टीम में जगह नहीं मिलने पर योगराज ने सार्वजनिक तौर पर इसके लिए उस समय के कैप्टन रहे महेंद्र सिंह धोनी को जिम्मेदार ठहराया था।

डेढ़ वर्ष की उम्र में खेलना शुरू कर दिया था
योगराज ने बताया कि युवी ने डेढ़ वर्ष की उम्र में खेलना शुरू कर दिया था। एक बार जब उसके एक शॉट से खिड़की शीशा टूटा था, तब उन्हें अहसास हो गया था कि बेटे में बड़ा क्रिकेटर बनने के गुण हैं। योगराज सिंह ने ही युवी को बल्ला पकडऩा सिखाया। घर पर ही उनके लिए शुरूआती ट्रेनिंग का इंतजाम करने वाले योगराज ने कहा कि उन्हें अपने बेटे पर नाज है। उसने मेरी जिद के लिए सब कुछ न्यौछावर कर दिया। युवी ने कैंसर से जूझते हुए भी देश के लिए अच्छा क्रिकेट खेला। 

जब दादी ने कहा था, पोते को मार ही मत देना
योगराज ने बेटे युवी को इंटरनैशनल क्रिकेटर बनाने के लिए जी तोड़ मेहनत करवाई। प्रैक्टिस सैशन कई-कई घंटे चलते थे। योगराज सिंह ने भावुक अंदाज में कहा कि मुझे उस दिन बड़ा दुख हुआ, जब मौत से जूझ रही युवराज की दादी ने मुझे अपने पास बुलाकर यह कहा कि बेटे, कहीं अपना जुनून पूरा करने के लिए मेरे पोते को मार मत देना। उस दिन मुझे ऐसा लगा की मेरे पैर तले जमीन खिसक गई हो। मैंने मां से कहा कि आप रहो या न रहो लेकिन यह युवी एक दिन पूरे देश में दादा व दादी का नाम रोशन करेगा। जिसे मेरा भी सीना चौड़ा हो जाएगा। 

bhavita joshi

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