सैल्फी के चक्कर में कहीं आप न हो जाएं इस बिमारी का शिकार

Thursday, May 26, 2016 - 01:21 AM (IST)

चंडीगढ़: सैल्फी का क्रेज आज कल लोगों के सिर चढ़ बोल रहा है जिसके चक्कर में वह डिप्रेशन का शिकार बन रहे है। चंडीगढ़ पीजीआई के साइकाईट्री विभाग की स्टडी की मानें तो स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थियों में खुद सैल्फी लेना घातक सिद्ध हो रहा है। जिससे भायनक बीमारी लग रही है। 

 
साइकाईट्री डिपार्टमेंट ने चंडीगढ़ के 500 स्टूडेंट्स पर एक रिसर्च प्रोजेक्ट शुरु किया। स्टडी में पाया गया कि यूथ मोबाइल में सबसे अधिक चीज क्या इस्तेमाल कर रहे हैं। रिसर्च में पता चला है कि यूथ मोबाइल में फेसबुक व्हाट्सएप सबसे ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। सैल्फी लेेना कोई गलत बात नहीं है लेकिन दूसरों को खुद की तरफ आक्रशित करने के लिए ऐसा किया जा रहा है। सैल्फी के चक्कर पति-पत्नी में लड़ाई-झगड़े के केस बढ़ रहे हैं। जिसका असर सीधा बच्चों की मानसिकता पर पड़ता है। 
 
पीजीआई के साइकाईट्री डिपार्टमेंट की विशेषज्ञ डा. आदर्श कोहली बताया कि सेल्फी एक मेनिया बनता जा रहा है। सेल्फी खींचने वाले खुश हैं तो फोटो अपलोड कर लिख रहे हैं फीलिंग हैप्पी। दुखी होने पर लिखते हैं फीलिंग सैड। हम दुखी हैं और किसी दूसरे को अपना दुख बताते हैं। वहीं विशेषज्ञ डा. संदीप ग्रोवर ने बताया कि सेल्फी का क्रेज बीमारी का रूप धारण कर रहा है। अमेरिकन साइकेट्रिक एसोसिएशन ने मानना है कि भविष्य में सेल्फी एक बड़ा मेंटल डिस-आर्डर घोषित हो सकता है। खुद की सेल्फी लेना गलत नहीं है लेकिन उसे सोशल साइट्स पर शेयर करना मानसिक कमजोरी से कम नही है।
 
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