मिट्टी का एकमात्र अखाड़ा फिर भी देश को मिले कई रैसलर

Monday, Mar 25, 2019 - 02:54 PM (IST)

चंडीगढ़(लल्लन) : रैसलिंग की शुरूआत तो मिट्टी के अखाड़े से होती है जिस पर फाइट करके कई पहलवान देश का नाम रोशन कर रहे हैं। इसी कड़ी में शहर में मिट्टी का एकमात्र अखाड़ा सुखना लेक पर चल रहा है। जहां पर जूनियर स्तर पर पहलवान तैयार होकर देश व शहर के लिए पदक जीत रहे हैं। इस अखाड़े पर रोजाना तकरीबन 40 से 50 पहलवान अभ्यास कर रहे हैं। 

ऐसे में इस मिट्टी के अखाड़े की देखरेख भी कोच की तरफ से की जाती है, जिसे लेकर रोजाना खुदाई तथा उसमें कुछ पदार्थ भी मिलाया जाता है जिससे पहलवानों के शरीर को एलर्जी होने की संभावना काफी कम होती है। 

हालांकि यदि टैक्नीकल की बात की जाए तो चैम्पियनशिप मैट पर खेली जाती है लेकिन जो पहलवान मिट्टी के अखाड़े पर नहीं लड़ा होता है, उसके लिए मैट पर फाइट आसान नहीं होती है। वहीं रैसलिंग कोच विशेषज्ञों की बात की जाए तो मिट्टी के अखाड़े से पहलवानों को एक नई ऊर्जा मिलती है। 

पहलवानों को कोई एलर्जी नहीं होती :
सुखना लेक पर बने मिट्टी के अखाड़े की देखरेख भी चंडीगढ़ पुलिस तथा कोच राजा की तरफ से की जाती है। अखाड़े में रैसलिंग करने वाले पहलवानों के लिए मिट्टी तैयार की जाती है। इस संबंध में अखाड़े के कोच राजा पहलवान का कहना है कि अखाड़े की मिट्टी की रोज खुदाई की जाती है। 

इसके बाद इस मिट्टी में हर सप्ताह सरसों का तेल,हल्दी तथा लकड़ी के बुरादे को मिलाया जाता है। इससे अखाड़े में फाइट कर रहे पहलवान को कोई एलर्जी न हो तथा यदि किसी पहलवान को स्क्रिन की परेशानी होती है तो इस मिट्टी में रैसलिंग करने के बाद ठीक हो जाती है। 

जूनियर स्तर के पहलवान होते हैं इस अखाड़े में तैयार :
सुखना लेक अखाड़े की बात की जाए तो इस अखाड़े से कई नैशनल व स्टेट स्तर पर युवा पहलवान पदक हासिल कर चुके हैं। इस संबंध में जानकारी देते हुए कोच राजा पहलवान ने बताया कि अखाड़े से हर साल 10 से 11 पहलवान स्टेट पर पदक विजेता होते हैं। 

इसके साथ ही कई पहलवान नैशनल तथा स्कूल नैशनल मेंं भी हर साल पदक जीत रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि तीन पहलवान ऐसे हैं जो इंडिया कैंप में शामिल हो चुके हैं।  

रैसलिंग की शुरूआत होती है मिट्टी के अखाड़े से :
पूर्व अंतराष्ट्रीय कोच दर्शन लाल का कहना है कि रैसलिंग की शुरूआत ही मिट्टी के अखाड़े से होती है। मिट्टी में रैसलिंग की तैयारी करने से पहलवान के स्टैमिना बढ़ता है तथा इसके साथ ही ताकत भी ज्याादा होती हैं और पहलवान की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। 

इसके साथ ही जो दाव पेंच बताए जाते हैं उसकी प्रैक्टिस भी पहलवान अधिक कर सकता है। मिट्टी के अखाड़े में पहलवान को इंजरी की संभावना अधिक होती है। ऐसे में प्रैक्टिस के दौरान कोच का होना जरूरी होता है। 

शहर के पहलवानों के लिए बन रहे कई सैंटर :
खेल विभाग की ओर शहर में रैसलिंग को प्रमोट करने के लिए कई सैंटर शुरू करने की योजना बना चुका हैं। शहर का कोई भी नन्हा व युवा पहलावान कम खर्चे में रैसलिंग की तैयारी कर सकता हैं। 

खेल विभाग की ओर से बनाए गए सभी स्पोर्ट्स काम्पलैक्सों में रेसलिंग सैंटर के लिए हॉल बनाए हुए हैं। इसके साथ ही बेहतरीन कोच के लिए युवा को सिर्फ 200 रुपए साल का खर्चे करना होगा और बेहतरीन ट्रेनिंग प्राप्त कर सकता हैं। 

Priyanka rana

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