समालखा पुलिस थाना और सैंट्रल जेल अम्बाला में शुरू हुआ आई.सी.जी.एस. पायलट प्रोजैक्ट
punjabkesari.in Saturday, Sep 23, 2023 - 08:51 PM (IST)

चंडीगढ़,(पांडेय): हरियाणा स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ओ.पी. सिंह ने कहा कि प्रदेश पुलिस इंटर ऑप्रेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में सम्मिलित अन्य विभागों जैसे फॉरैंसिक लैब के लिए ई-फॉरैंसिक, न्यायालयों के लिए ई-कोर्ट, लोक अभियोजकों के लिए ई-प्रॉसिक्यूशन, जेलों के लिए ई-जेल के साथ मिलकर काम कर रही है ताकि क्राइम नहीं, क्रिमिनल की ट्रैकिंग अच्छी तरह से हो। स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो में आयोजित सभी विभागों के साथ हुई बैठक में एस.सी.आर.बी. चीफ ने कहा कि अपराधी खोज प्रणाली आई.सी.जे.एस. (इंटर ऑप्रेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम) के तहत पानीपत जिले के समालखा पुलिस थाने में पायलट प्रोजैक्ट के तहत काम किया जाएगा, वहीं सैंट्रल जेल अम्बाला में जेल विभाग बतौर पायलट प्रोजैक्ट इसे चलाएगा। विदित है कि हरियाणा देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसने अपराधी खोज प्रणाली आई.सी.जे.एस. (इंटर ऑप्रेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम) के तहत अब तक लाखों अपराधियों की तलाश की है।
इंटीग्रेशन के लिए एन.सी.आर.बी. बनाएगा लॉगइन आई.डी.
पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि बैठक में नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के ज्वाइंट डायरैक्टर पवन भारद्वाज ने वीडियो कॉल के माध्यम से बैठक में भाग लिया। उन्होंने बताया कि एन.सी.आर.बी. जल्द ही आई.सी.जी.एस. के अन्य विभागों को लॉगइन आई.डी. दी जाएगी ताकि वो इंटीग्रेशन का कार्य पूरा कर सकें। विदित है कि पुलिस (सी.सी.टी.एन.एस.), फॉरैंसिक लैब के लिए ई-फॉरैंसिक, न्यायालयों के लिए ई-कोर्ट, लोक अभियोजकों के लिए ई-प्रॉसीक्यूशन, जेलों के लिए ई-जेल के साथ ही इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से प्रदेश पुलिस जेलों में बंद अपराधियों का पूर्ण रिकॉर्ड रहता है। सॉफ्टवेयर में अपराधी का नाम व अन्य सूचना की एंट्री करने से, यदि किसी अन्य राज्य में उसकी स्थिति है तो तभी अपडेट हो जाती है। सूचना के आधार पर अनुसंधान अधिकारी आगामी कार्रवाई कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त बैठक में फैसला लिया गया कि ई-कोर्ट में केस अपलोड करने की सुविधा के लिए काम किया जाएगा।
कैदियों की जानकारी मिलेगी एक क्लिक पर, थानों में रूक्के का होगा डिजिटाइटेशन
बैठक में निर्णय लिया गया कि ई-प्रिजन को जल्द ही इंटीग्रेट कर लिया जाएगा। इसके लिए जरूरी तैयारी जल्द ही पूरी कर ली गई है। ई-प्रिजन के लागू होने से कैदियों के बारे में जानकारी, उनकी प्रोफाइल, वर्तमान स्थिति तुरंत पुलिस को उपलब्ध हो सकेगी। आई.सी.जे.एस. प्लेटफार्म गुणात्मक और मात्रात्मक दोनों प्रकार से आपराधिक न्याय प्रणाली की क्षमता बढ़ाने के लिए मील का पत्थर साबित होने जा रहा है। इसके अलावा बैठक में अधिकारियों द्वारा निर्णय लिया कि सभी थानों में मिलने वाले रूक्के का डिजिटाइजेशन किया जाएगा।
क्या है आई.सी.जे.एस. प्रणाली, क्रिमिनल की ट्रैकिंग यहां से समझें
पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि आई.सी.जे.एस. प्रणाली अपराधियों को खोजने में काफी कारगर सिद्ध हो रही है। पुलिस (अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग और नैटवर्क प्रणाली), फॉरैंसिक लैब के लिए ई-फॉरैंसिक, न्यायालयों के लिए ई-कोर्ट, लोक अभियोजकों के लिए ई-प्रॉसिक्यूशन, जेलों के लिए ई-जेल के साथ ही इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से प्रदेश पुलिस जेलों में बंद अपराधियों का पूर्ण रिकॉर्ड रहता है। सॉफ्टवेयर में अपराधी का नाम व अन्य सूचना की एंट्री करने से, यदि किसी अन्य राज्य में उसकी स्थिति है तो तभी अपडेट हो जाती है। सूचना के आधार पर अनुसंधान अधिकारी आगामी कार्रवाई कर सकते है। आगे जानकारी देते हुए बताया कि बैठक में प्रदेश के मधुबन में स्थित फॉरैंसिक साइंस लैबोरेटरी के डेटा के इंटीग्रेशन के बारे में भी निर्णय लिया गया।