देखभाल का असली रंग: क्यों स्मार्ट माएं कहती हैं ‘ना’ कृत्रिम रंगों को
punjabkesari.in Friday, Jun 27, 2025 - 01:23 PM (IST)

चंडीगढ़। माँ बनना सिर्फ प्यार और देखभाल ही नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की सोच-समझकर की गई ज़िम्मेदारियों का नाम है—खासकर बच्चों की सेहत से जुड़ी। आज सबसे बड़ी चिंताओं में से एक है कृत्रिम खाद्य रंगों का बच्चों के खान-पान में बढ़ता उपयोग। डॉ. मनमीत कौर सोढ़ी कन्सल्टेंट पेडियाट्रिशियन के अनुसार ,
रंगीन कैंडी, पैकेज्ड जूस, नमकीन और बेकरी उत्पादों में मिलने वाले रंग जैसे रेड 40, येलो 5, ब्लू 1 आदि सिर्फ रंगत के लिए होते हैं। ये पेट्रोलियम आधारित रसायन होते हैं, जिनका कोई पोषण नहीं होता और कई बार नुकसानदायक साबित हो सकते हैं।अध्ययनों के अनुसार, ये रंग त्वचा में एलर्जी, पेट खराब, और व्यवहार संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं—जैसे चिड़चिड़ापन और ध्यान में कमी। हर बच्चा प्रभावित नहीं होता, लेकिन जिनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, उनके लिए यह गंभीर हो सकता है।इस मदर्स डे, चलिए यह सोच बदलते हैं कि “खुशियों का मतलब रंग-बिरंगी मिठाई ही है।” इसके बजाय, बच्चों को प्राकृतिक रंगों से बने स्नैक्स दें जैसे कि चुकंदर से बना गुलाबी हलवा या हल्दी से पीली खीर।स्मार्ट माँ वह होती है जो स्वाद के साथ-साथ सुरक्षा भी चुनती है।लेबल पढ़ना शुरू करें, रसायनों को ना कहें, और अपने बच्चे को दें एक सुरक्षित बचपन।इस मदर्स डे, सच्चे प्यार का रंग चुनें—कृत्रिम रंगों से नहीं, समझदारी से भरे फैसलों से।