1155 फीट तक गिरा सुखना का वाटर लैवल

punjabkesari.in Wednesday, Jun 13, 2018 - 09:56 AM (IST)

चंडीगढ़ (विजय): सुखना लेक का वाटर लैवल 1155 फीट तक आ गया है। अगर मानसून ने जल्द दस्तक न दी तो यह लेवल और भी गिरने की उम्मीद जताई जा रही है। यानी एक बार फिर चंडीगढ़ प्रशासन सुखना लेक को बचाने के लिए पूरी तरह मानसून पर निर्भर हो चुका है। दरअसल, अपने नए प्रोजैक्ट्स लाने के चक्कर में इस साल सुखना लेक में ट्यूबवैल के जरिए भी पानी नहीं भरा गया। 

 

ऐसे में अब प्रशासनिक अधिकारी सिर्फ अच्छे मानसून की उम्मीद लगाए बैठे हैं। अगर ऐसा न हुआ तो इस साल फिर सुखना लेक के सूखने का खतरा बन सकता है। पिछले 37 सालों का रिकॉर्ड यही कहानी बयां कर रहा है। जब-जब चंडीगढ़ में मानसून मेहरबान रहा है तब-तब सुखना लेक में भी पानी की कमी नहीं आई लेकिन जब औसत से कम बारिश हुई है तब सुखना का वाटर लेवल भी घटा है। 

 

नैशनल इंस्टीच्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी (एन.आई.एच.), रुड़की ने जो रिपोर्ट लगभग छह साल पहले प्रशासन के पास सब्मिट करवाई थी, सुखना का भविष्य भी उसी पर निर्भर करता है। एन.आई.एच. ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि सुखना का वाटर लैवल अगर कम भी होता है तो इसे किसी भी प्रकार का गंभीर खतरा नहीं मानना चाहिए। 

 

2017 में दर्ज की गई थी औसत से कम बारिश
पिछले कई सालों के रिकार्ड प्रशासन के लिए खतरे की घंटी साबित हो रहे हैं। कम बारिश के कारण 2010 में सुखना लेक पूरी तरह सूख गई थी। अगर अब जल्द ही मानसून ने दस्तक नहीं दी तो इस वर्ष भी उसी तरह का हाल हो सकता है। दरअसल पिछले कुछ वर्षों में औसत से कम बारिश रिकार्ड की गई है। 2017 में 675.3 एम.एम. बारिश हुई थी, जबकि मौसम विभाग की मानें तो साल में 830 एम.एम. बरसात को औसत माना जाता है। 

 

सिर्फ नाम के लिए गठित कर दी अथॉरिटी
सुखना लेक के संरक्षण के लिए चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा गठित की गई वेटलैंड अथॉरिटी पर ही सवाल उठने लगे हैं कि आखिर इसका गठन किया ही क्यों गया? सुखना के संरक्षण के लिए मिनिस्ट्री के निर्देशों पर जिस वेटलैंड अथॉरिटी का गठन इस साल फरवरी में किया गया था उसकी अभी तक एक भी मीटिंग नहीं 

 

हो पाई है। इस कारण सुखना लेक अभी तक नोटिफाई वेटलैंड घोषित नहीं हो पाई है। क्योंकि वेटलैंड अथॉरिटी की पहली मीटिंग में केवल एक एजैंडा है वह है सुखना को नोटिफाई वेटलैंड घोषित किया जाना लेकिन अभी तक इसकी एक भी मीटिंग नहीं हो पाई। 


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