31 मार्च तक जमा नहीं किए पानी के पैंडिंग बिल तो कटेंगे कनैक्शन

Sunday, Mar 18, 2018 - 11:22 AM (IST)

चंडीगढ़(राजिंद्र) : नगर निगम ने शहर के गांवों और कालोनियों में वाटर बिल डिफाल्टरों के खिलाफ सख्ती शुरू कर दी है। निगम ने डिफाल्टरों को 31 मार्च तक पैंडिंग वाटर बिल जमा करवाने के निर्देश दिए हैं। अगर तब तक इन्होंने पैंडिंग बिल जमा नहीं करवाया तो निगम इनके कनैक्शन काटने शुरू कर देगा। 

 

इस संबंध में निगम की पब्लिक हैल्थ विंग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर सुरेश गिल ने बताया कि उन्होंने सभी गांवों और कालोनियों की डिफाल्टरों की लिस्ट अधिकारियों को भेजी थी और शुरूआत वे हल्लोमाजरा दीप कॉम्पलैक्स और मनीमाजरा से कर रहे हैं। डिफाल्टरों को 31 मार्च तक पैंडिंग बिल चुकाने के निर्देश दिए गए हैं। अगर इसके बाद भी डिफाल्टर पैंडिंग बिल जमा नहीं करवाते तो उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। इसके बाद इसी तरह बारी-बारी अन्य गांवों और कालोनियों में भी ये कार्रवाई शुरू की जाएगी। 

 

गौरतलब है कि निगम की वर्ष 2016-17 की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट में भी वाटर बिल डिफाल्टरों से पैंडिंग बिल वसूलने में ढीली कार्रवाई पर सवाल उठाए गए थे, जिसके बाद ही निगम ने सख्ती करनी शुरू की है। डिफाल्टरों की लिस्ट में आम आदमी ही नहीं, बल्कि सरकारी विभाग भी शामिल हैं। यहां तक कि इस लिस्ट में निगम के अपने दो विभाग भी हैं, जिन्होंने पैंडिंग बिल चुकाना है। 

 

कालोनियों और गांवों में डिफाल्टर अधिक :
निगम रिकार्ड के अनुसार कालोनियों में वाटर बिल डिफाल्टर अधिक हैं। बापूधाम कालोनी से 42 लाख और मौलीजागरां से 86 लाख वाटर बिल डिफाल्टरों से वसूलना है। इसके अलावा राम दरबार से 1.66 करोड़ पैंडिंग बिल वसूलना है। 

 

वहीं गांव अटावा से 7.20 लाख, डड्डूमाजरा कालोनी से 87 लाख, डड्डूमाजरा गांव से 17 लाख और पलसौरा गांव से 62 लाख रुपए वसूलने है। 32 लाख रुपए के करीब पैंडिंग बिल सैक्टर-25 कालोनी, 8 लाख रुपए के करीब राशि बडहेड़ी एवं धनास से और 70 लाख रुपए के करीब बकाया राशि गांव मलोया से वसूलनी है। 

 

इस संबंध में निगम के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले लंबे समय से इनकी बकाया राशि पैंङ्क्षडग पड़ी है। बार-बार नोटिस देने के बावजूद इन्होंने बिल नहीं भरा है। यही कारण है कि अगर इन्होंने जल्द बकाया राशि जमा नहीं करवाई तो निगम इनके कनैक्शन काटने की कार्रवाई शुरू कर देगा। 

 

डिफाल्टरों में सरकारी विभाग भी :
निगम की डिफाल्टरों की लिस्ट में सरकारी विभाग शामिल रहे हैं। सैक्टर-26 टिंबर मार्कीट के पास ओल्ड पावर हाऊस से 1 करोड़, कमांडैंट सी.आर.पी.एफ. सैक्टर-39 से 1.5 करोड़, पंजाब गवर्नमैंट पुलिस बैरक सैक्टर-39 से 6 लाख, जंझ घर अटावा से 85 हजार, सब डिवीजन इंजीनियर, रोड डिवीजन नंबर 3 नगर निगम से 1.20 लाख, होॢटकल्चर डिवीजन नगर निगम सैक्टर-23 से 33 हजार रुपए आदि शामिल हैं।

 

रैवेन्यू हो रहा कम :
वाटर सप्लाई से हर साल निगम का रैवेन्यू कम होता जा रहा है। वर्ष 2012-13 में वाटर सप्लाई का खर्च 114 करोड़ और रैवेन्यू सिर्फ 64 करोड़ रुपए था। इस तरह 50 करोड़ के करीब गैप था। ये गैप हर साल ही बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2013-14 में रैवेन्यू 65 करोड़ के करीब था, वहीं खर्च बढ़कर 126 करोड़ हो गया। 

 

वर्ष 2014-15 में रैवेन्यू कम होकर 62 करोड़ रुपए के करीब पहुंच गया, जबकि इसका खर्च बढ़कर 127 करोड़ पहुंच गया। वर्ष 2015-16 में ये खर्च बढ़कर 132 करोड़ पहुंच गया, जबकि रैवेन्यू वो ही 65 करोड़ ही रहा। वर्ष 2016-17 में वाटर सप्लाई का खर्च 133 करोड़ रुपए हो गया, जबकि रैवेन्यू 68 करोड़ ही रहा, जिससे कि 65 करोड़ रुपए का गैप बरकरार रहा।                

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