वक्फ बोर्ड : हाईकोर्ट में घिरा प्रशासन, अब 5 जुलाई को देना होगा जवाब

punjabkesari.in Saturday, Jun 17, 2017 - 07:32 AM (IST)

चंडीगढ़(नीरज) : चंडीगढ़ वक्फ बोर्ड के लिए सदस्यों के चयन को लेकर प्रशासन पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में घिर गया है। पहले तो प्रशासन केंद्रीय गृह मंत्रालय से हरी झंडी न मिलने के कारण वक्फ बोर्ड के नए सदस्यों की नियुक्ति का नोटिफिकेशन जारी नहीं कर पाया, अब फाइनल किए गए तीन सदस्यों की नियुक्ति को हाईकोर्ट में चैलेंज कर दिया गया है। प्रशासन को अब इस संबंध में 5 जुलाई को हाईकोर्ट में जवाब देना है तो पूरे मामले में हाईकोर्ट ने सभी नवचयनित 6 सदस्यों को भी तलब कर लिया है। माना जा रहा है कि प्रशासन अब चंडीगढ़ वक्फ बोर्ड के लिए नए सिरे से सदस्यों का चयन कर सकता है। इस स्थिति को देखते हुए सभी नवचयनित सदस्य अब अपने चयन को बचाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं।

 

क्या है वक्फ बोर्ड :
देश के हर राज्य में वक्फ बोर्ड का गठन किया जाता है। यह बोर्ड अपने राज्य के मुस्लिम समुदाय के कल्याण के कार्यों, तालीम की व्यवस्था का संचालन और सार्वजनिक संपत्तियों की देखरेख आदि का काम करता है। चंडीगढ़ में वक्फ बोर्ड का कार्यकाल 5 साल के लिए निर्धारित है। इस मर्तबा तीसरी बार के कार्यकाल के लिए चंडीगढ़ वक्फ बोर्ड के सदस्य तय किए गए हैं। पहले कार्यकाल में तीन सदस्यीय बोर्ड था, जबकि दूसरे कार्यकाल में पांच सदस्यीय बोर्ड बनाया गया था। इस बार 6 सदस्यीय बोर्ड बनाया जा रहा है। वक्फ बोर्ड के नियमों के मुताबिक अधिकतम 7 सदस्यों से ज्यादा का बोर्ड नहीं बनाया जा सकता है।

 

12 साल पहले चंडीगढ़ में बना था वक्फ बोर्ड :
पहले पंजाब, हरियाणा और हिमाचल का संयुक्त वक्फ बोर्ड होता था लेकिन करीब 12 साल पहले इसे तोड़कर इन तीनों राज्यों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड का गठन कर चंडीगढ़ के लिए भी अलग वक्फ बोर्ड की व्यवस्था कर दी गई। चंडीगढ़ में वक्फ बोर्ड के पास फिलहाल सैक्टर-20 स्थित जामा मस्जिद और मनीमाजरा की दो मस्जिदों, मनीमाजरा व मौलीजागरां के कब्रिस्तान, कैंबवाला में करीब एक एकड़ कृषि भूमि और मनीमाजरा स्थित कुछ दुकानों का नियंत्रण है। पहले कार्यकाल में शकील अहमद और दूसरे कार्यकाल में मंसूर अली चंडीगढ़ वक्फ बोर्ड के चेयरमैन रहे। 

 

दिसम्बर में तय हुए नए सदस्य :
चंडीगढ़ वक्फ बोर्ड का दूसरा पांच साल का कार्यकाल खत्म होने के बाद करीब दो साल से नया बोर्ड गठित नहीं हुआ है। दिसम्बर 2016 में प्रशासन ने नए बोर्ड के लिए मनोनीत पार्षद खुर्शीद अहमद, एडवोकेट सलीम, पूर्व मनोनीत पार्षद शगुफ्ता परवीन, एम.डी. खान, नौशाद अली और फातिमा जरीन के नाम तय किए थे। इसके बाद करीब तीन महीने पहले यह नाम मंजूरी के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेज दिए गए लेकिन वहां से हरी झंडी न मिलने के कारण अभी तक वक्फ बोर्ड में इन सदस्यों की नियुक्ति का नोटीफिकेशन जारी नहीं किया जा सका है। ऐसे में बोर्ड के चेयरमैन की कुर्सी भी खाली पड़ी है। वक्फ बोर्ड के नियमों के मुताबिक नोटिफिकेशन के 10 दिन के अंदर सभी सदस्य अपने बीच से किसी एक को चेयरमैन चुनेंगे। 10 दिन में ऐसा न होने पर सभी सदस्यों की नियुक्ति की नोटीफिकेशन स्वत: रद्द हो जाएगी।

 

तीन सदस्यों की नियुक्ति पर है आपत्ति :
वक्फ बोर्ड पर काबिज होने के इंतजार में बैठे सभी नवचयनित 6 सदस्य अब उस समय अवाक रह गए जब हाईकोर्ट से उन्हें सम्मन प्राप्त हुए। मुस्लिम समुदाय के ही कुछ लोगों ने वक्फ बोर्ड में तीन सदस्यों की नियुक्ति की तैयारी पर सवाल उठाते हुए सभी तय 6 सदस्यों को कठघरे में खड़ा कर दिया है। 

 

एक पर आरोप है कि वह चंडीगढ़ के निवासी ही नहीं हैं। वह मोहाली में रहते हैं। लिहाजा, उन्हें चंडीगढ़ वक्फ बोर्ड का सदस्य नहीं बनाया जा सकता है। दूसरे पर आरोप है कि उनके परिजन वक्फ बोर्ड के डिफॉल्टर हैं। उन्होंने वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी पर अवैध कब्जा कर रखा है। तीसरे पर आरोप है कि वह मुस्लिमों के शिया समुदाय से हैं, जबकि चंडीगढ़ वक्फ बोर्ड केवल सुन्नी समुदाय का है। नियमानुसार इसमें शिया समुदाय के किसी भी व्यक्ति को सदस्य नहीं बनाया जा सकता है। 

 

गौरतलब है कि चंडीगढ़ वक्फ बोर्ड के पिछले दोनों कार्यकालों में भी शिया समुदाय के किसी भी व्यक्ति को सदस्य नहीं बनाया गया था। ऐसे में याचियों ने चंडीगढ़ वक्फ बोर्ड के लिए सदस्यों के चयन में नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए पूरे बोर्ड के नवगठन की तैयारी पर ही सवालिया निशान लगा दिया है। लिहाजा, हाईकोर्ट ने प्रशासन और नव चयनित सभी 6 सदस्यों को तलब कर लिया है। हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई अब 5 जुलाई को होगी। सूत्र बताते हैं कि प्रशासन इससे पहले ही चंडीगढ़ वक्फ बोर्ड का नए सिरे से गठन कर सकता है। इससे मौजूदा नवचयनित 6 सदस्यों में हड़कंप मचा हुआ है।


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