शहर की वंदना का वॉकाथन में बेहतरीन प्रदर्शन, तीन बार जीत चुकी है पदक

Monday, Aug 12, 2019 - 04:12 PM (IST)

चंडीगढ़(लल्लन) : साल-2017 में दिल्ली में हुई 20 कि.मी. रेस वॉकिंग में 1 घंटे 43 मिनट में सुर्खियां बटौर चुकी और तीन बार की नैशनल चैम्पियन वंदना सितम्बर में होने वाले इंटर कालेज टूर्नामैंट की तैयारी में जुटी हैं। डी.ए.वी. कालेज-10 की वंदना ने बताया कि मेरे आर्दश और पसंदीदा खिलाड़ी नीरज चोपड़ा हैं और वह उन्हीं की तरह ही देश के लिए मैडल जीतना चाहती हूं। 

वंदना ने बताया कि अभी वह हाल ही में नैशनल कैंप बेंगलुरु में ट्रेनिंग लेकर वापस लौटी हूं। इस कैम्प में मैनें बहुत कुछ सीखा है। उम्मीद है कि भविष्य में होने वाली प्रतियोगिताओं में देश का प्रतिनिधित्व करूंगी। वंदना ने बताया कि वह अभी कोच गुरमीत सिंह के पास कोचिंग ले रही हूं और मंजिल के बिल्कुल नजदीक हूं, बस कुछ और मौकों की तलाश है। मेरा फोकस अब इंटरनैशनल स्तर पर पदक जीतने का है।

यू.पी. की रहने वाली वंदना डी.ए.वी.-10 में स्पोर्ट्स कोटे से एडमिशन लेकर सैकेंड ईयर की कर रही है पढ़ाई :
वंदना ने बताया कि वैसे तो वह यू.पी. के फर्रूखाबाद की रहने वाली हैं, लेकिन अभी डी.ए.वी.-10 में स्पोर्ट्स कोटे से एडमिशन लेकर सैकेंड एयर की पढ़ाई कर रही है। नैशनल रेस वॉकिंग और ओपन सीनियर फैडरेशन चैंपियनशिप में खुद को साबित कर चुकी वंदना ने बताया कि बेंगलुरू में चले नैशनल कैंप में मेरी ट्रेनिंग बेहद खास रही थी। ट्रेनिंग का पहला सैशन सुबह 5 से 9 बजे तक चलता। 

इस कैंप में ट्रेनर ने खिलाडिय़ों को दो घंटे फिटनैस के लिए अलग-अलग तरह के एक्सरसाइज व योग करवाए। वहीं कैंप में दो घंटे रेस वॉकिंग की प्रैक्टिस भी होती थी। इस दौरान हम हर रोज सुबह 30 से 35 कि.मी. तक रेस करते थे। शाम को 5 से 7 बजे फिर रेस वॉकिंग की प्रैक्टिस 25 से 30 कि.मी. की होती थी। 

वंदना ने बताया कि मैं नियमित तौर पर रोजाना 55 से 60 कि.मी. रेस वॉकिंग करती हूं। इस दौरान टाइमिंग का भी खास ध्यान रखती हूं ताकि हम अपनी क्षमताओं को सुधार सकें। हमें रोज पहले दिन से बेहतर टाइमिंग देनी होती है, फिर चाहे वह कुछ सैकेंड की ही क्यों न हो।

पिता ने वॉकिंग के लिए किया प्रेरित :
वंदना ने बताया कि वह सामान्य परिवार से है। मेरे पिता गोपी चंद्रा को खेलों से काफी लगाव है। उन्हें जब भी समय मिलता, वह स्पोर्ट्स चैनल लगाकर देखने लग जाते हैं, इसलिए मेरे पिता ने ही मुझे रेस वॉकिंग करने के लिए प्रेरित किया। 

शुरू में मैं अपने पिता के साथ हंसी-हंसी में यह सब करती थी लेकिन बाद में हम रोज इसका अभ्यास करने लगे। मेरे पिता भी मेरे लिए रोज रेस वॉकिंग करते। यह सिलसिला कई महीने तक चला। फिर मुझमें आत्मविश्वास जगा। इसके बाद मैंने स्कूल स्तर की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। मैडल जीतने लगी तो मेरे सपनों को और पंख लगे। 

कई प्रतियोगिताओं में खुद को साबित कर चुकी है वंदना :
-चेन्नई में साल-2016 में हुई नैशनल रेस वॉकिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड मैडल जीता।
-साल-2016 बेंगलुरू में आयोजित ओपन सीनियर फैडरेशन चैम्पियनशिप में गोल्ड मैडल जीता।
-साल-2017 दिल्ली में आयोजित नैशनल रेस वॉकिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड मैडल जीता।
-साल-2018 भुवनेश्वर में आयोजित नैशनल रेस वॉकिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड मैडल जीता।

Priyanka rana

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