डॉक्टरों के खिलाफ की हिंसा तो जेल में बिताने पड़ सकते हैं 3 साल

Tuesday, Jun 25, 2019 - 10:58 AM (IST)

चंडीगढ़(साजन) : चंडीगढ़ में अब डाक्टरों के खिलाफ हिंसा, मारपीट या अस्पताल में किसी ने डैमेज की कोशिश की तो ऐसा करने वाले को एक साल से भी ज्यादा समय जेल में बिताना पड़ सकता है। पश्चिमी बंगाल में डाक्टरों पर हुए हमले के बाद प्रशासन ने चंडीगढ़ में भी डाक्टरों को बड़े स्तर पर राहत देने की कोशिशों को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है। डाक्टरों के खिलाफ हिंसा और अस्पतालों में प्रॉपर्टी के डैमेज को रोकने को लेकर पंजाब प्रोटैक्शन ऑफ मैडीकल सर्विसेज पर्संस एंड मैडीकेयर सर्विसेज इंस्टीच्यूशंस (प्रीवेंशन आफ वायलैंस एंड डैमेज ऑफ प्रापर्टी) एक्ट 2008 को लागू करने की तैयारी है। 

इस एक्ट के प्रावधानों को केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास भेजा जा रहा है। अगर वहां से मुहर लग गई तो यू.टी. में भी एक्ट पूरी तरह लागू हो जाएगा। डाक्टरों के खिलाफ हिंसा व प्रॉपर्टी डैमेज करने को लेकर एक्ट में पहले एक साल की सजा का प्रावधान है, लेकिन अब इसे तीन साल करने की तैयारी है। इसको लेकर पंजाब सरकार अपनी राय देगी कि ऐसा किया जा सकता है या नहीं। इंडियन मैडीकल एसोसिएशन (आई.एम.ए.) के साथ हुई मीटिंग के दौरान प्रशासक वी.पी. सिंह बदनौर की अगुवाई में इस मुद्दे पर पूर्ण रूप से सहमति बनी।

एक्ट में अभी एक साल सजा का प्रावधान
बैठक के दौरान आई.एम.ए. के प्रैजीडैंट डा. राजेश धीर और एसोसिएशन के कई रिप्रेजेंटेटिव्स ने हिंसा को लेकर कई बातें रखी और पंजाब प्रोटैक्शन आफ मैडीकल सर्विसेज एंड मैडीकेयर सर्विसेज इंस्टीच्यूशंस प्रीवेंशन आफ वायलैंस एंड डैमेज आफ प्रॉपर्टी एक्ट 2008 को चंडीगढ़ में लागू करने को लेकर संस्तुति की। इस एक्ट में अभी एक साल की सजा का प्रावधान है, जिसे तीन साल करने की बात कही गई। 

मिनिस्ट्री के पास जाएंगी सभी संस्तुतियां
बैठक में जो भी संस्तुतियां की गई इन्हें होम मिनिस्ट्री के पास भेजा जाएगा। अगर यहां से अप्रूवल मिल गई तो यह एक्ट चंडीगढ़ में भी लागू हो जाएगा। इसके तहत पंजाब सरकार को पूछा जाएगा कि वह एग्जामिन करे कि इस एक्ट के उल्लंघन करने वाले दोषियों को एक से तीन साल की सजा बढ़ाए जाने के प्रावधान पर गौर किया जाए। सरकार बताएगी कि ऐसा हो सकता है या नहीं। 

एफ.आई.आर. से पहले मैडीकल बोर्ड से लें सलाह
चंडीगढ़ प्रशासन डायरैक्टर जनरल आफ पुलिस को भी निर्देश जारी करेगा, जिसमें पुलिस स्टेशनों को सेंसेटाइज करने को कहा जाएगा। अगर किसी अस्पताल में पैशेंट की मौत या पैशेंट के इलाज में लापरवाही के मामले में डाक्टरों पर हमला होता है या प्रॉपर्टी डैमेज की जाती है तो पुलिस स्टेशन पहले मैडीकल बोर्ड से एफ.आई.आर. दर्ज करने से पहले स्पष्टीकरण लेंगे कि वास्तव में लापरवाही हुई है या नहीं या फिर महज आरोप लगाए जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के भी यही निर्देश हैं कि पहले ऐसे मामलों में  मैडीकल बोर्ड गठित किया जाए और पुलिस इसी बोर्ड की सलाह के बाद आगे एक्शन ले।

bhavita joshi

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