सैैक्टर-22 में फड़ी का महीने का रैंट डेढ़ लाख रुपए

punjabkesari.in Sunday, Dec 15, 2019 - 10:09 AM (IST)

चंडीगढ़(राय) : सैक्टर-22 में हाल ही में नगर निगम द्वारा वैंडर्स को अलॉट की गई साइट्स की सबलेटिंग की कीमत एक माह के लिए डेढ़ लाख तक पहुंच गई है। सूत्रों के अनुसार सैक्टर-22 शास्त्री मार्कीट के सामने निगम द्वारा बैठाए गए वैंडर्स जिन्हें 5&6 फीट की जगह दी गई है, एक माह किराए पर किसी और वैंडर को दिए जाने के लिए डेढ़ लाख रुपए तक की मांग कर रहे हैं। 

यहां बता दें कि इस क्षेत्र में जिन भी वैंडर्स को साइट्स अलॉट हुई है, उनमें से आधे से अधिक ऐसे हैं, जिन्होंने कभी फड़ी नहीं लगाई थी। निगम द्वारा करवाए सर्वे के दौरान ही ये लोग वैंडर बने और उन्होंने अपना सर्वे करवाया।

खाली लिफाफे उठाने वालों को भी मिली जगह :
यहां तीन वैंडर्स ऐसे हैं, जिन्हें जगह अलॉट की गई है जो इस मार्कीट में कागज या खाली लिफाफे उठाते थे, ऐसे में अब जब इन जैसे लोगों को साइट्स मिल गई है तो इन्हीं में से कुछ वैंडर अपनी साइट्स किराए पर देने लगे हैं। इनमें से कुछ वे हैं, जो हाथों में सामान लेकर मार्कीट में घूमते थे, उन्हें भी यहां साइट्स अलॉट की गई है। अब ऐसे में यहां 30-35 वर्ष से काम करने वाले दुखी हैं। 

उनका कहना है कि निगम ने नए पुराने वैंडर्स को एक मान कर गलती की जिसका खमियाजा उन्हें भुगतना पद रहा है। इन वैंडर्स का कहना है कि यदि निगम सर्वे के दौरान वैंडर्स से कोई भी एक सबूत मांग लेता कि वे वैंडर हैं भी या नहीं तो शहर में वैंडर्स की इतनी संख्या नहीं बढ़ती। उन्होंने कहा कि निगम की इस गलती के कारण असली वैंडर बेरोजगार हो गए हैं और जो वैंडर सर्वे के दौरान बने, उन्हें साइट्स अलॉट कर दी गई।

शुरू में 50 हजार रुपए था रेट :
निगम ने 6 दिसम्बर को शहरभर से वैंडर्स को हटाया था। उसके अगले ही दिन सैक्टर-22 में जिन भी वैंडर्स को जगह अलॉट हुई थी, उन लोगों ने यहां अपना सामान लगा लिया था। 

उसी दिन ही यहां सबलेटिंग की बातें होनी शुरू हो गई थी और तब इसका रेट 50 हजार रुपए प्रतिमाह था, लेकिन अब इतने दिन बाद जब वैंडर्स की कमाई हर तरफ नहीं चल रही है तो इसका रेट अब 5 हजार रुपये प्रति दिन तक हो गया है। जानकारी अनुसार इससे पहले शोरूमों के आगे जब फडिय़ां लगती थी, तब भी इनका रेट इतना नहीं था, जितना अब छोटी सी साइट का हो गया है। शोरूमों के आगे तब एक माह के लिए 50 हजार तक फड़ी मिल जाती थी।

सर्वे के दौरान तीन गुना हो गई थी वैंडरों की संख्या :
यहां बता दें कि इसी मार्कीट में सर्वे से पहले 164 रजिस्टर्ड वैंडर थे, लेकिन सर्वे के दौरान यहां बूथों और शोरूमों में काम करने वाले लोगों ने भी थोड़ा-थोड़ा सामान जमीन पर रखकर अपना सर्वे करवा लिया, जिसके बाद यहां वैंडर्स की संख्या असली वैंडर्स से तीन गुना हो गई और जब निगम ने नए पुराने सभी वैंडर्स को एक बताकर ड्रा निकाला तो यहां के असली वैंडर्स में से मात्र 5-6 वैंडर्स को साइट्स मिल सकी। 

बाकी की साइट्स उन्हें मिल गई, जिन्होंने कभी यहां कोई काम नहीं किया था। निगम के यहां तैनात इंफोर्समैंट सब इंस्पैक्टरों को प्रत्येक रेहड़ी फड़ी के बारे में जानकारी होती है, लेकिन सर्वे के दौरान उन्हें सर्वे से बाहर किया गया, जिससे नए वैंडर्स की संख्या इतनी हो गई कि हाईकोर्ट को इसमें हस्तक्षेप करना पड़ा और वैंडर्स को शिफ्टिंग का तोहफा मिला।


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Priyanka rana

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