उत्तराखंड परिवहन की बसें अब चंडीगढ़ में मनमर्जी से नहीं ड्रॉप कर पाएंगी पैसेंजर्स

punjabkesari.in Monday, Feb 11, 2019 - 12:35 PM (IST)

चंडीगढ़(विजय) : उत्तराखंड की बसों में सफर करने वाले पैसेंजर्स को अब चंडीगढ़ में प्रवेश करते ही अपनी मनमर्जी का ड्रॉप प्वाइंट नहीं मिलेगा। चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट डिपार्टमैंट की ओर से पैसेंजर्स को जिस आई.एस.बी.टी. की परमिशन दी होगी, वहीं पर ही उत्तराखंड की बसों को यात्रियों को ड्रॉप करना होगा। यही नहीं, अब उत्तराखंड की कोई भी बस लोकल रूट पर नहीं चलेगी। 

इस बारे में चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट डिपार्टमैंट और उत्तराखंड सरकार के बीच एक एग्रीमैंट साइन हुआ है। एग्रीमैंट के तहत दोनों राज्यों में ट्रैवल करने वाले पैसेंजर्स को अधिक किराया देना होगा। अगर उत्तराखंड की कोई बस चंडीगढ़ में प्रवेश करती है तो एंट्री प्वाइंट से लेकर आई.एस.बी.टी. तक का जो किराया चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट डिपार्टमैंट तय करेगा वह भी उत्तराखंड सरकार की ओर से किराए में जोड़ा जाएगा। 

चंडीगढ़ और उत्तराखंड के बीच चल रही बसों के रूट्स को लेकर भी दोनों ही पार्टियों ने अपनी मंजूरी दे दी है। सिंगल प्वाइंट टैक्सेशन के आधार पर दोनों तरफ की स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी की ओर से स्टेज कैरिएज परमिट्स दिए जाएंगे। यानि इस तरह के परमिट होल्डर्स को स्पेशल रोड टैक्स/पैसेंजर्स टैक्स देना होगा। 

बेहद पुरानी बसों की नो एंट्री 
दोनों राज्यों ने इस विषय पर भी अपनी मंजूरी दे दी है कि जो भी बस अपनी मैक्सिमम लाइफ पूरा कर चुकी हो उसे दूसरी स्टेट में परमिट नहीं दिया जाएगा। टैंपरेरी परमिट की विभिन्न लिस्ट हर महीने जारी की जाएगी। यह लिस्ट स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी द्वारा सौंपी जाएगी।

उत्तराखंड में अधिक चलती हैं चंडीगढ़ की बसें 
चंडीगढ़ के बसें उत्तराखंड में केवल आठ रूट पर चलती हैं लेकिन इस दौरान शहर की बसें उत्तराखंड की बसों की तुलना में अधिक सफर तय करती हैं। जानकारी के अनुसार चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग (सी.टी.यू.) की बसें उत्तराखंड में 4832 किलोमीटर तक चलती हैं जबकि उत्तराखंड से चंडीगढ़ में आनी वाली बसें 34 रूट्स में चल रही हैं। लेकिन ये बसें 2052 किलोमीटर का सफर ही उत्तराखंड में तय कर रही हैं।

किसी भी समय बढ़ा सकते हैं रूट्स
संबंधित स्टेट ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग पब्लिक डिमांड पर नोटिफाइड रूट्स पर स्टेज कैरिएज की कोई भी सर्विस बढ़ा सकता है। इसके साथ ही ट्रिप की संख्या को विशेष अवसरों पर बढ़ाया जा सकता है। हालांकि इसके लिए लिखित में दोनों ही तरफ से म्यूचुअल एग्रीमैंट अनिवार्य होगा। आई.एस.बी.टी. तक पहुंचने के लिए भी बसों को सबसे छोटे रूट का इस्तेमाल करना होगा।


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bhavita joshi

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