इंजी. विभाग के कई कामों में घपला!

punjabkesari.in Sunday, Feb 03, 2019 - 09:40 AM (IST)

चंडीगढ़(साजन) : यू.टी. प्रशासन की इंजीनियरिंग विभाग में बड़े घपले की आशंका है। अधिकारी जिस बेतरतीब तरीके से बिना अप्रूवल के जो काम करा रहे हैं, उस पर ऑडिट विभाग ने जबरदस्त ऑब्जेक्शंस लगाए हैं। 

कई कामों में विभाग ने टैंडर में तय अमाऊंट से ज्यादा के काम करा लिए। ऑडिट विभाग ने आशंका जताई है कि कांट्रैक्टरों पर विभाग इतना मेहरबान क्यों है? अगर कांट्रैक्टरों ने समय पर काम नहीं किए तो इनके ऊपर तय शर्तों के मुताबिक मोटी पैनेल्टी क्यों नहीं लगाई गई। ऑडिट विभाग ने इन कामों का इंजीनियरिंग विभाग से स्पष्टीकरण मांगा है। 

जानकारी के अनुसार प्रशासन के इंजीनियरिंग विभाग की डिवीजन नंबर 5 जो सुुपरिंटैंडैंट इंजीनियर के अंडर है, ने प्रशासन के अंडर कुछ अस्पतालों, डिस्पैंसरियों के काम शुरू करवाए। इंजीनियरिंग विभाग विभिन्न कामों में कांट्रेक्टरों पर पूरी तरह से मेहरबान दिखा। जी.एम.सी.एच. 32 में जेनेटिक सैंटर, पैट स्कैन की सुविधा, ब्लॉक जे में बायो मैडीकल वेस्ट प्लांट का काम कांट्रैक्टर को 36 लाख में दिया गया। 

शर्तों के मुताबिक यह काम तीन माह में किया जाना चाहिए था लेकिन यह तय समय सीमा में पूरा नहीं हुआ। विभाग के अधिकारियों ने इस कांट्रैक्टर पर मेहरबानी दिखाई और शर्तों मुताबिक 3 लाख 61 हजार रुपए की पैनेल्टी नहीं लगाई। 

कंपलीशन सर्टीफिकेट इश्यू होने से पहले कांट्रैक्टरों को भुगतान :
कांट्रैक्ट में यह भी शर्त होती है कि 1 करोड़ या इससे ऊपर के कामों के पूरा होने से पहले सुपरिंटैंडैंट इंजीनियर काम की प्रोग्रैस जांचेंगे और अगर काम कंपलीट हो गया है तो काम पूरा होने की लिखित घोषणा करेंगे। इसके बाद ही फाइनल पेमैंट कांट्रैक्टर को जारी की जानी चाहिए। 

3 माह के भीतर कंपलीशन सर्टीफिकेट बिलों के साथ अटैच कर दिया जाना चाहिए लेकिन यहां इंजीनियरिंग विभाग ने पूरी लापरवाही बरती और कांट्रैक्टरों को काम से पहले न केवल पूरी पेमैंट जारी कर दी और कंपलीशन सर्टीफिकेट भी जारी कर दिए। ऑडिट विभाग की रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसे 53 बिल अप्रूव कर दिए गए जिनका कंपलीशन पहले देखा जाना चाहिए था। 

कई कामों में धांधली :
57 लाख रुपए के काम की इररैगुलर एनहांसमैंट कर इसे 107.40 लाख रुपए का कर दिया गया। इसमें बाकायदा सागर कांता एंड कंपनी नाम के कांट्रैक्टर का जिक्र है। यहां भी कांट्रैक्टर पर मेहरबानी दिखाई गई। ब्लॉक डी का 40.93 लाख के बराबर अतिरिक्त स्टील कांट्रैक्टर को इंजीनियरिंग विभाग की ओर से इश्यू की गई। इसी तरह जी.एम.सी.एच. 32 की इमरजैंसी का काम जो 57 लाख रुपए का था उसे 107.40 लाख में किया गया। 

ऑडिट विभाग ने ये भी कहा कि 3.10 करोड़ का खर्चा ऐसा किया जो इंजीनियरिंग विभाग ध्यान देता तो रोका जा सकता था। इसी तरह पर्यावरण भवन सैक्टर-19 बी में भी 64.15 लाख का अनजस्टिफाइड खर्चा किया गया। 4 लाख से ऊपर के यहां काम के दौरान वाटर चार्जिस भी नहीं वसूले गए। गवर्नमैंट हाई स्कूल सैक्टर-48 में जय प्रकाश एंड संस ने करीब 55 लाख काम काम 11 मार्च 2013 को पूरा किया। यह काम 18 माह में पूरा किया जाना था लेकिन पूरा नहीं हो पाया। 


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Priyanka rana

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