चंडीगढ़ की सड़कों पर ‘बेखौफ आजादी मार्च’

Saturday, Aug 12, 2017 - 01:27 PM (IST)

चंडीगढ़ : वर्णिका केस को लेकर चंडीगढ़ के फेमस गेड़ी रूट पर सिविल सोसायटी गु्रप और पंजाब यूनिवर्सिटी के स्टूडैंट्स द्वारा महिलाओं की सुरक्षा को लेकर शुक्रवार देर रात ‘बेखौफ आजादी मार्च’ निकाला गया। यह मार्च रोज गार्डन से शुरू होकर 4 किलोमीटर का फासला तय करके सैक्टर-10 तक पहुंचा। इस मार्च के दौरान वर्णिका केस में सही जांच की मांग की गई। इसकी शुरुआत, एमी, शर्मिता और निकी सहित कई लड़कियों ने आवाजें उठी नहीं तो जुल्म बढ़ता जाएगा गीत से की। वुमन एक्टिविस्ट दीप्ति, पैम राजपूत नीलम मानसिंह और एडवोकेट आरती सहित कई प्रोफेसर्स, डॉक्टर्स और कलाकार मार्च में शामिल थे। नारी मुक्ति सबकी मुक्ति, सबकी मुक्ति जिंदाबाद, 'पैट्रिआर्की डाउन-डाउन' मनुवादी सोच को एक धक्का और दो... जैसे स्लोगन सुनने को मिले। 

 

प्रशासन को जगाने के लिए मार्च : डॉ.दीप्ती ने कहा- हमारे लिए ये बताना जरूरी था कि हमारी पीढ़ी लड़कियों को बराबर ही मानती है। पिछले 40 साल से मैं यहां पर हूं। ऐसा कभी नहीं देखा। आज का मार्च सरकार प्रशासन को ये संदेश देने के लिए है कि हमारे साथ गलत होगा तो हम चुप नहीं बैठने वाले हैं। सबको मिलकर सोच बदलनी होगी। खुद को अच्छा नागरिक बनाना होगा, तभी समाज बदलेगा। अच्छा समाज से ही अच्छा भारत बनेगा और अच्छा समाज बेटियों से है बेटों से नहीं।


 मार्च के जरिए रखी गईं ये मांगे. . .
-वर्णिकाके केस की बिना भेदभाव के इंक्वायरी की जाए 
-वर्किंग वुमन हॉस्टल लड़कियों के लिए कोई कर्फ्यू टाइम ना हो 
-रात को महिला पुलिस कर्मियों की संख्या सड़कों पर बढ़ाई जाए 
-पुलिस अधिकारियों को जेंडर सेंसेटाइज किया जाए 
-सही स्ट्रीट लाइट हो और सीसीटीवी चलती सूरत में हर जगह इंस्टॉल किए जाएं 
-अनऑर्गेनाइज सेक्टर में काम करने वाली महिलाओं के लिए ग्रिएंवेंसेज रिड्रेसल कमेटी का गठन किया जाए 
-ड्रंकन ड्राइविंग के लिए सख्त सजा हो जैसे कि वाहन का जब्त करना आदि ताकि वह नशे में क्राइम ना कर सकें 
 

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