TV की दवाई से लिवर 5 फीसदी खराब होने का खतरा : डॉ. विशाल

Sunday, Sep 22, 2019 - 10:10 AM (IST)

चंडीगढ़(पाल) : टी.बी. का पूर्णतया इलाज कई महीने में पूरा होता है। इसके लिए मरीज को रोजाना कई दवाओं की डोज खानी पड़ती है। हालांकि दवाई से बीमारी में राहत मिलती है लेकिन कोर्स के दौरान ऐसे कई मरीज हैं जिनका लिवर इन दवाइयों से खराब हो जाता है। वह भी बिना सिम्टम्स के। 

ऐसे में एल.एफ.टी. टैस्ट टी.बी. के मरीजों के लिए बहुत जरूरी है। पी.जी.आई. गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी डिपार्टमैंट के डॉ. विशाल शर्मा ने कहा कि टी.बी. के हर 5 में से एक मरीज को इलाज के दौरान इसका सामना करना पड़ता है। इलाज के लिए जो 4 दवाइयां दी जाती हैं उनमें से तीन लिवर के लिए टैक्सिक होती है। ऐसे में 20 प्रतिशत लोगों में लिवर के एंजाइम काफी बढ़ जाते हैं, जबकि 5 प्रतिशत लोगों में लिवर इंजरी हो जाती है। 

ऐसे में लिवर फैलियर वाली सिच्युएशन भी आ सकती है। इसके लिए एल.एफ.टी. टैस्ट कर इसे डायग्रोस किया जाता है। कई बार मरीज को लक्षण होते हैं और कई बार नहीं। इस दौरान दवाइयों को लगातार खाने से लीवर फैलियर का खतरा ज्यादा हो जाता है। सही वक्त पर इसे डायग्रोस कर दवाइयों को बंद कर दिया जाता है। जब तक बॉडी नॉर्मल नहीं हो जाती। 

दवाइयों को दोबारा शुरू करने का भी एक अलग तरीका है जिसमें एक-एक कर दवाइयों को शुरू किया जाता है। इस दौरान चैक किया जाता है कि किस दवाई से मरीज को साइड इफैक्ट हो रहा है। जिस दवाई से मरीज को साइफ इफैक्ट होता है उसे बदल दिया जाता है। टी.बी. के दवाई से होने वाली इस लिवर इंजरी को अगर वक्त पर ट्रीट नहीं किया जाता तो यह जानलेवा भी हो सकती है। 

अपडेट प्रोग्राम में पहुंचे कई गेस्ट्रो एक्सपर्ट्स :
रैजीडैंट्स को गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी में ट्रैंड करने के लिए पी.जी.आई. की ओर से जी.आई. एमरजैंसी पर अपडेट प्रोग्राम का आयोजन किया जा रहा है। यह तीसरा मौका है, जब पी.जी.आई. में इसे करवाया जा रहा है। देशभर से 200 से ज्यादा रैजीडैंट डॉक्टर्स यहां हिस्सा ले रहे हैं। गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी के एक्सपर्ट्स ने यहां रैजीडैंट्स को गेस्ट्रो से रिलेटेड बीमारियों के प्रति अवेयर तो किया। इसके साथ लेटेस्ट टैक्नोलॉजी से कैसे इनका इलाज किया जाए, इसके बारे में भी बताया। 

इसका मकसद रैजीडैंट्स को जी.आई. एमरजैंसी के लिए ट्रैंड करना है। पी.जी.आई. एमरजैंसी में मरीज पहले 24 व 12 घंटे काफी महत्वपूर्ण होते हैं। ऐसे में उसे कैसा ट्रीटमैंट देना है या उसे कहां शिफ्ट करना है बहुत जरूरी है। ताकि इन्हें बेहतर इलाज मिल सके। इसके लिए रैजीडैंट्स का ट्रैंड होना अति आवश्यक है। प्रोग्राम के पहले दिन पी.जी.आई. गेस्ट्रो से डॉ. ऊषा दत्ता, एम्स दिल्ली से डॉ. अनूप सराया, डॉ. अनिल आनंद, प्रो. प्रोमोद गर्ग, प्रो. शिव कुमार सरीन और बैंगलोर से डॉ. नरेश भट्ट जैसे गेस्ट्रो के एक्सपर्ट्स मौजूद रहे। 

मरीजों को एल.एफ.टी. टैस्ट जरूर करना चाहिए :
टी.बी. के मरीजों को दवाइयां लेने के दौरान अगर पीलिया, पेट में दर्द या बार-बार उल्टी होने लगे। तो उन्हें एल.एफ.टी. टैस्ट जरूर कराना चाहिए। आमतौर पर मरीज को अगर दवाइयों से साइफ इफैक्ट होगा तो यह दिक्कतें जरूर आएंगी। लेकिन कई मामलों में देखा गया है कि बिना किसी सिम्टम के भी मरीजों को दवाइयों से साइड इफैक्ट हुआ है।

Priyanka rana

Advertising