चंडीगढ़ को हरा-भरा बनाए रखेगी ट्री रिप्लेस पॉलिसी

Tuesday, May 01, 2018 - 11:40 AM (IST)

चंडीगढ़ (विजय): चंडीगढ़ शहर ग्रीनरी के मामले में इस समय पूरे देश में टॉप-5 में शुमार होता है लेकिन उस समय क्या होगा जब मौजूदा पेड़ टूट जाएंगे? इसी सवाल का जवाब तलाशने के लिए अब चंडीगढ़ प्रशासन ने शहर में पेड़ों की नई कतार खड़ी करने का फैसला लिया है। इन्हें भविष्य के रिप्लेसमैंट के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा। 

 

दरअसल प्रशासन की चिंता है कि वह समय आने में भी अब देर नहीं है जब मौजूदा ओवर-मैच्योर पेड़ों को या तो हटाना पड़ सकता है या फिर वे खुद ही गिर सकते हैं इसलिए चंडीगढ़ प्रशासन जल्द ही इन पेड़ों की एक रिप्लेस पॉलिसी तैयार करने जा रहा है। पॉलिसी के तहत सबसे पहले शहर में उन पेड़ों की पहचान की जाएगी, जिन्हें आने वाले 10 सालों के भीतर रिप्लेस करने की जरूरत पड़ सकती है। 

 

इन पेड़ों की पहचान करने के बाद यू.टी. के फॉरेस्ट डिपार्टमैंट, नगर निगम के हॉर्टिकल्चर विंग और प्रशासन के हॉर्टिकल्चर विंग की जिम्मेदारियां तय की जाएंगी। इस नई पॉलिसी के साथ प्रशासन इस तैयारी में है कि जिस पेड़ की वजह से शहर में उस जगह की अलग पहचान बनी हुई है उसे किसी भी हालत में खाली न छोड़ा जाए। 

 

10 साल के मैच्योर ट्री तैयार करने पर फोकस
चंडीगढ़ प्रशासन की प्लानिंग है कि जिन पेड़ों को चिन्हित किया जाता है उनकी रिप्लेसमैंट इस तरह से होनी चाहिए कि जब पुराने पेड़ों को रिमूव किया जा रहा हो तो उस समय नए पेड़ कम से कम 10 साल के हो चुके हों या फिर पेड़ इतनी छांव दे रहे हों कि किसी भी प्रकार की क्लाइमेट और बायोटिक प्रेशर को आसानी से झेल सके। खास बात यह है कि पॉलिसी में इस बात का भी ख्याल रखा जाएगा कि जिस पेड़ को रिमूव किया जा रहा है उसी पेड़ का पौधा इस समय वहां लगाया जाए। 

 

पौधे की सुरक्षा का भी पूरा ध्यान
जब भी किसी पेड़ की रिप्लेसमैंट तैयार की जाएगी तो उसके लिए पौधे की सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखा जाएगा। जहां मौजूदा पेड़ लगे हुए हैं, उनके आसपास ही नए पौधे लगाए जाएंगे। इसके साथ ही कर्मचारियों की विशेष ड्यूटी लगाई जाएगी जो पौधे की सुरक्षा पर विशेष ध्यान रखेंगे। निरंतर अंतराल पर पेड़ों की जांच भी की जाएगी जिससे रिप्लेसमैंट के तौर पर तैयार किए गए पौधे को नुक्सान न पहुंचे।

 

छह फीट के लगेंगे पौधे
यह भी ध्यान रखा जाएगा कि कोई भी पौधा छह फीट से कम न हो। दरअसल छह फीट या उससे अधिक के पौधे लगाने से इस्टेब्लिशमैंट पीरियड और मैंटिनैंस कॉस्ट कम आएगी। इसके साथ ही जिस पेड़ की रिप्लेसमैंट की जा रही है नया पेड़ उसकी जगह लेने के लिए पूरी तरह से तैयार हो। 

 

पेड़ों की ऊंचाई इलैक्ट्रिक लाइन से होगी कम
शहर में जहां इलेक्ट्रिक लाइन जा रही हैं वहां भविष्य में अब ऊंचाई के हिसाब से ही पेड़ों की प्लांटेशन होंगी। वर्तमान समय में कई जगह 15 फीट ऊंची इलेक्ट्रिक लाइन के आसपास पिल्खन, चकरासिया और बहेड़ा प्रजाति के पेड़ लगे हुए हैं। 

 

इनकी ऊंचाई 40 फीट तक हो जाती है। ऐसे में अब प्रशासन भविष्य में पत्रांजिवा, रॉक्सबर्गी, मिलेटिया, मैडीसनल और मौल्सारी प्रजाति के पेड़ या झाडिय़ां ही लगाएगा ताकि बिजली की तारें टूटने की समस्या कम हो सके। 

Punjab Kesari

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