निजी हितों के लिए चंडीगढ़ में रहना चाहते हैं आईएएस कशिश मित्तल: केंद्र

punjabkesari.in Tuesday, Mar 29, 2016 - 01:05 PM (IST)

चंडीगढ़। आईएएस कशिश मित्तल ट्रांसफर मामले में केंद्र ने बड़ा खुलासा किया है। उनका कहना है कि कशिश मित्तल अपने निजी हितों के चलते चंडीगढ़ में रहना चाहते हैं। आईएएस कशिश मित्तल की ओर से यूटी से ट्रांसफर किए जाने के आदेश के खिलाफ केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में दायर याचिका पर सोमवार को भारत सरकार और यूटी प्रशासन की ओर से जवाब दाखिल किया गया।
इसमें कहा गया है कि आईएएस कशिश मित्तल की चंडीगढ़ में ही रहना कोई व्यक्तिगत रुचि प्रतीत होती है। वह प्रोबेशन पीरियड समेत तीन साल चंडीगढ़ में काट चुके हैं। ऐसे में कार्यकाल पूरा होने से पहले तबादला होने को वह गलत नहीं ठहरा सकते। साथ ही कहा गया है कि आईएएस अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम यूनियन टेरिटरी कैडर से हैं और ऐसे में उन पर सिविल सर्विस बोर्ड के नियम लागू नहीं होते।
इसलिए सरकार की ओर से उन्हें ट्रांसफर करने पर उन्हें पूछना जरूरी नहीं है। उनका ट्रांसफर जनहित को देखते हुए किया गया है। साथ ही उन्हें प्रमोशन के साथ वहां भेजा गया है। ट्रिब्यूनल ने प्रशासन की ओर से दाखिल जवाब के बाद मामले की अगली सुनवाई के लिए 11 अप्रैल की तारीख तय की है।
सोमवार को भारत सरकार और यूटी प्रशासन ने 200 पेज का जवाब दाखिल किया। इसमें कहा गया है कि आईएएस कशिश मित्तल का तबादला नियमों के अनुसार किया गया है। उनकी प्रमोशन हो चुकी थी और वह सीनियर स्केल पोस्ट पर हैं। ऐसे में नियमानुसार उन्हें अपने पूरे कार्यकाल में आठ साल हार्ड एरिया में पोस्टिंग जरूरी है। जवाब में यह भी कहा गया है कि भारत सरकार ने केवल कशिश मित्तल का ही तबादला नहीं किया है, उनके अलावा तीन अन्य अफसरों का भी ट्रांसफर किया गया है। वहीं याचिकाकर्ता को प्रमोट पर भेजा गया है।
बता दें कि आठ मार्च को ट्रांसफर आदेश आने के बाद अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम यूनियन टेरिटरी कैडर के आईएएस अफसर कशिश मित्तल ने कैट में ट्रांसफर आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी। उन्होंने ट्रिब्यूनल में दायर याचिका में इस ट्रांसफर को समय से पहले और आईएएस रुल्स के विपरीत बताया था। याचिका पर सुनवाई करते हुए कैट ने ट्रांसफर आदेश पर तत्काल स्टे लगाने से फिलहाल इंकार कर दिया था। हालांकि प्रतिवादी पक्ष चंडीगढ़ प्रशासन और होम मिनिस्ट्री को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था।
गौरतलब है कि आईएएस कशिश मित्तल चंडीगढ़ में बतौर एडिशनल डिप्टी कमिश्नर तैनात थे। आठ मार्च को ही गृह मंत्रालय ने उन्हें यूटी से अरुणाचल प्रदेश ट्रांसफर कर दिया था। मित्तल के पास रजिस्ट्रेशन एंड लाइसेंसिंग अथॉरिटी इंजार्च, एडिशनल एक्साइज एंड टैक्सेशन कमिश्नर, डायरेक्टर हॉस्पिटेलिटी, सेक्रेटरी स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी और ज्वाइंट इलेक्ट्रोरल अफसर का पद भी था। कशिश मित्तल का कार्यकाल शहर में सितंबर तक था।
ट्रिब्यूनल को दी रिलीव होने की जानकारी : सरकार की ओर से कैट को यह भी बताया गया है कि कशिश मित्तल को 23 मार्च को यूटी प्रशासन ने रिलीव कर दिया है। वहीं सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के अनुसार एक बार ट्रांसफर ऑर्डर होने के बाद आईएएस को जहां भेजा जाता है, उन्हें पहले वहां ज्वाइन करना होता है। इसके बाद ही वह ट्रांसफर ऑर्डर को चुनौती दे सकता है। उन्होंने कशिश की दलील (दो साल से पहले ट्रांसफर बिना उनसे पूछे नहीं कर सकते) पर कहा कि वह एजीएमयूटी कैडर से हैं। उनका तबादला ज्वाइंट कैडर अथॉरिटी (जेसीए) ने किया है। उन पर सिविल सर्विस बोर्ड के नियम लागू नहीं होते। ऐसे में ट्रांसफर से पहले उन्हें पूछना जरूरी नहीं है।
डिपार्टमेंटल कमेटी का नियम केवल स्टेट में : कशिश मित्तल की ओर से कहा गया था कि उनके तबादले से पहले डिपार्टमेंटल कमेटी बननी चाहिए थी। इस पर सरकार ने जवाब दिया कि यह नियम स्टेट में लागू होता है। जब एक ही स्टेट में तबादला हो रहा हो, लेकिन इस केस में आउट ऑफ जोन तबादला किया जाना था। इसलिए इस तरह की कमेटी बनाने का कोई प्रावधान नहीं है।

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