''ठग्स ऑफ गोवा'' – गोवा के किनारे, ठगी का अनोखा खेल

punjabkesari.in Friday, May 30, 2025 - 02:08 PM (IST)

मूवी रिव्यू: ठग्स ऑफ गोवा
कलाकार: सूर्यांश त्रिपाठी, गायत्री बनसोडे, रुचिका सिंह, मनवीर सिंह, अंकिता देसाई, विक्की मोटे, गिरिराज कुलकर्णी, सागर, पब्बाले, हर्षित उपाध्याय, प्रणय तेली, सुनील कुसेगांवकर, राजदेव जमदादे, योगेश कुमावत, नवनाथ श्रीमंडिलकर
निर्माता निदेशक: साई पाटिल
सह-निर्माता : योजना पाटिल
बैनर: साई पाटिल फिल्म फैक्ट्री
अवधि : 1 घंटा 36 मिनट
रिलीज की तारीख: 30 मई 2025
सेंसर: ए
रेटिंग : 3 स्टार्स 

चंडीगढ़। बॉलीवुड में चोर पुलिस और ठगी पर आधारित कहानियों की भरमार है, लेकिन निर्माता–निर्देशक साई पाटिल की नई पेशकश, 'ठग्स ऑफ गोवा', इस शैली की फिल्मों के बीच एक ताजगी का एहसास कराती है। यह सिर्फ़ एक क्राइम थ्रिलर नहीं है, बल्कि गोवा के सुनहरे नज़ारों के बीच बुना गया दिमाग का एक ऐसा खेल है जहाँ हर चाल पर दांव पर कुछ बड़ा लगता है.
निर्देशक साई पाटिल ने फ़िल्म की कहानी, पटकथा और संवादों को बड़ी ही कुशलता से गढ़ा है. गोवा यहाँ सिर्फ़ एक ख़ूबसूरत बैकग्राउंड नहीं, बल्कि कहानी का एक जीवंत हिस्सा बन जाता है, जो ठगों और पुलिस के बीच की इस जंग को और भी रोमांचक बना देता है.

कहानी के केंद्र में है अमर अग्निहोत्री (सूर्यांश त्रिपाठी), एक ऐसा शातिर ठग जो अपने साथियों, सलोनी (गायत्री बनसोडे), नेहा (रुचिका सिंह) और विक्की (मनवीर सिंह) के साथ मिलकर लोगों को अपनी उंगलियों पर नचाता है. उनकी ठगी के धंधे में भूचाल तब आता है जब क्राइम ब्रांच ऑफिसर विजय, नेहा को ब्लैकमेल करके एक भ्रष्ट मंत्री के बेटे राकेश के काले धन से जुड़े दस्तावेज़ चुराने पर मजबूर करता है. इस खतरे से अंजान, अमर अब एक ऐसी लड़ाई में उलझ जाता है जिसका अंत अनिश्चित है. अमर और विजय के बीच का यह ज़बरदस्त टकराव आपको अपनी सीट से हिलने नहीं देगा. इस जंग का अंजाम क्या होगा, यह जानने के लिए आपको सिनेमाघरों का रुख करना होगा.

अभिनय के मोर्चे पर, सूर्यांश त्रिपाठी ने अमर के रूप में शानदार प्रदर्शन किया है. उनका सहज और आत्मविश्वास से भरा अंदाज़ देखते ही बनता है और  वह अपनी अभिनय क्षमता से दर्शकों को विश्वास दिलाने में सफल रहे हैं कि वह एक बेखौफ ठग हैं जो अपना काम बड़ी सफाई से करता है। उनकी बॉडी लैंग्वेज और डायलॉग डिलीवरी किरदार में जान डाल देती है. 
गायत्री बनसोडे ने सलोनी के रूप में अपनी छाप छोड़ी है. रुचिका सिंह नेहा के किरदार में ख़ास तौर पर उस सीन में बेहतरीन लगी हैं जब वह मंत्री के घर में दस्तावेज़ों की तलाश में होती हैं. मनवीर सिंह ने विक्की के किरदार को जीवंत बनाया है. सहायक कलाकार जैसे अंकिता देसाई, विक्की मोटे, गिरिराज कुलकर्णी ने भी अपनी-अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया है.
फ़िल्म के संवाद सटीक और इतने सहज हैं कि याद रह जाते हैं.

साई पाटिल का निर्देशन काबिले-तारीफ है. उन्होंने कलाकारों से बेहतरीन काम लिया है और कहानी को तेज़ गति से आगे बढ़ाया है, जिससे दर्शकों की उत्सुकता अंत तक बनी रहती है. हर मोड़ पर थ्रिल और रोमांच आपको बांधे रखता है. फ़िल्म का बैकग्राउंड म्यूज़िक भी इसकी जान है, जो क्राइम थ्रिलर के माहौल को और भी अधिक संदेहास्पद बनाता है.

यदि आप उन दर्शकों में से हैं जिन्हें दिमागी खेल और रोमांच से भरी फ़िल्में पसंद हैं, तो 'ठग्स ऑफ गोवा' आपके लिए एक ज़बरदस्त फिल्म साबित हो सकती है. यह फ़िल्म आपको अंत बांधे रखेगी और आपको कहानी के हर मोड़ पर सोचने पर मजबूर करेगी.
तो ज्यादा सोचिए मत, जाइए और देख डालिए।


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Content Editor

Diksha Raghuwanshi

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