सतर्कता विभाग ने तलब किया स्ट्रीट वैंडर्स के सर्वे का रिकॉर्ड

Sunday, Jun 30, 2019 - 01:24 PM (IST)

चंडीगढ़(राय): नगर निगम द्वारा एक गैर-सरकारी संस्था से स्ट्रीट वैंडर्स के करवाए गए सर्वे का रिकॉर्ड प्रशासन के सतर्कता विभाग ने तलब किया है। सूत्रों के अनुसार निगम ने जिस कंपनी को यह काम दिया था, उसे प्रति वैंडर की दर से भुगतान किया गया। संस्था ने शहर में 20 हजार से अधिक वैंडर बताए जबकि निगम में पंजीकरण अब तक केवल 6500 स्ट्रीट वैंडर्स ने किया। निगम ने काम हरियाणा नव युवा संगम को वर्ष 2016 में दिया था।

 एजैंसी का स्थाई पता हरियाणा के रोहतक का है। यह गैर-सरकारी संस्था चंडीगढ़ में सर्वेक्षण से पहले हरियाणा में शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रही थी। निगम सूत्रों के अनुसार सतर्कता विभाग ने उक्त संस्था के साथ इस काम के लिए निविदाएं भेजने वाली अन्य कंपनियों व उनकी कोट की गई दरों के संबंध में दस्तावेज मांगे हैं। सूत्रों के अनुसार अन्य कंपनियों ने सर्वे के लिए उक्त संस्था से कम दरें कोट की थी। सर्वे में ने हरियाणा नव युवा संगम ने शहर में स्ट्रीट वैंडर्स का जो रिकार्ड निगम के पास था, उससे तीन गुणा अधिक वैंडर्स शहर में दर्शाए।

बिना किसी अनुभव के काम भी सौंप दिया गया
निगम सूत्रों के अनुसार इस काम के लिए निविदाएं 21 अप्रैल, 2016 को आमंत्रित की गई। इसके लिए 15 दिनों का समय दिया गया। सूत्रों के अनुसार निर्धारित तिथि से 17 दिन पहले पहले ही 4 अप्रैल, 2016 को ही टाऊन वैंडिंग कमेटी की बैठक में निविदाएं खोल ली गई व शाम तक पांच एजैंसियों को आमंत्रित भी कर लिया। प्री-बिड कांफ्रेंस
 के लिए आमंत्रित की गई पांच कंपनियों में पहली कटौती करने वाली चार एजैंसियों में मैसर्स एन.एफ. इन्फ्राटेक सॢवस प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स रुद्राभिषेक एंटरप्राइज प्राइवेट लिमिटेड नोएडा, मैसर्स वैपकोस लिमिटेड गुडग़ांव और मैसर्स हरियाणा एन.ए.वी. शामिल थे। 

इनमें केवल एक गैर-सरकारी संस्था हरियाणा नव युवा संगम थी व उसे भी 1 लाख रुपए के बयाना जमा करने से छूट देने का फैसला तत्काल ही कर लिया गया। इसे बिना किसी अनुभव के काम भी सौंप दिया गया। इसे ठेका देने के लिए तकनीकी मूल्यांकन के  76 अंक दिए गए जबकि अन्य को 72 या 71 अंक दिए गए। वित्तीय बोलियों की प्रस्तुति के दौरान हरियाणा नव युवक संगम को दूसरों के ऊपर भी चुना गया था क्योंकि इसमें प्रति विक्रेता 314 रुपए की दर से कोट की थी। मैसर्स एन.एफ. ने 275 रुपए प्रति विक्रेता, मैसर्स रुद्राभिषेक एंटरप्राइजेज की दर 295 रुपए, इवेट लिमिटेड ने प्रति वैंडर 310 रुपए कोट किए।

आर.टी.आई. का नहीं दिया जवाब
निगम सूत्रों के अनुसार निगम के अपने सर्वे में शहर में 12,500 वैंडर्स थे और इस दर से कंपनी को 37 लाख रुपए दिए जाने थे। चयनित एजैंसी ने अपने सर्वे में शहर में 22,114 वैंडर्स पाए। इस दर से निगम को कंपनी को लगभग दोगुने दाम अदा करने थे। निगम ने जब इन वैंडर्स के पंजीकरण का काम शुरू किया तो अब तक केवल 6500 स्ट्रीट वैंडर्स ही निगम में पहुंचे। इस संबंध में शहर के आर.टी.आई. एक्टीविस्ट आर.के. गर्ग को निगम जवाब भी नहीं दे रहा है। उन्हें केवल यही कहा जा रहा है कि थर्ड पार्टी जानकारी उन्हें नहीं दी जा सकती। निगम ने जिस एजंैसी को यह काम दिया, वह हरियाणा में कलाकारों को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था। वे महिला सशक्तिकरण, बुजुर्गों के लिए काम करते हैं। एजैंसी के प्रतिनिधि का कहना था कि चंडीगढ़ से पहले वह हिमाचल में भी वैंडर्स का सर्वे कर चुके हैं। निगम ने अभी उनकी पूरी राशि भी अदा नहीं की है। 

अधिकारियों की मिलीभगत का संदेह  
सूत्रों के अनुसार सतर्कता विभाग को इस सारे मामले में अधिकारियों की मिलीभगत का भी संदेह है। विभाग यह भी जाच करेगा कि जब सर्वे में 20 हजार से अधिक वैंडर्स थे तो पंजीकरण के लिए केवल 6500 ही क्यों आए। वहीं, इस संबंध में निगम के एक अधिकारी का कहना था कि निगम ने कंपनी की 50 प्रतिशत से अधिक की राशि का भुगतान नहीं किया है इसलिए यह कहना कि इसमें निगम अधिकारी भी संलिप्त हो सकते हैं, गलत है। उनका कहना था कि निगम अपने स्तर पर भी जांच कर रहा है।

bhavita joshi

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