ट्रांसजैंडर व महिलाओं को एक साथ एक जैसा प्लेटफॉर्म देने की कोशिश है रिवाज

punjabkesari.in Sunday, Jun 09, 2019 - 11:28 AM (IST)

चंडीगढ़(पाल): पिछले कई सालों से फिल्म व ग्लैमर वर्ल्ड का हिस्सा रही हूं। वक्त बदल रहा है लोगों की सोच बदल रही है जैंडर को देखकर। किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। वह चाहे मेल हो फीमेल या फिर ट्रांसजैंडर। यह भी हमारी सोसायटी का वह हिस्सा है जिसे हम वर्षों से अलग समझते आए हैं, लेकिन ऐसा है नहीं। रिवाज यूनिक ट्रैडिशनल फैशन एंड कल्चरल इवैंट का आयोजन शनिवार को पंजाब कला भवन में किया गया। 

फिल्म डायरैक्टर और शो कोर्डिनेटर हितेश रतन की कोशिश ट्रांसजैंडर व महिलाओं को एक साथ एक जैसा प्लेटफॉर्म देना है, जिसको देखते हुए उन्होंने इस शो का कांसैप्ट तैयार किया। पिछले कई सालों से हितेश ट्राईसिटी में स्मल एरिया के बच्चों को डांस व एक्टिंग की बारीकियां सिखा रही हैं। उन्होंने कहा कि मेरी कोशिश इन लोगों को मेन स्ट्रीम लाने की है। कोई अपनी मर्जी से यह नहीं बनना चाहता। इसलिए हमारा कोई राइट नहीं है कि हम किसी के साथ भेदभाव करें।

फैशन शो आयोजित
पंजाब, हिमाचल और हरियाणा राज्यों के कल्चर को दिखाया गया। उनका पहरावा किस कदर उन्हें एक दूसरे से अलग दिखाता है इसे फैशन शो के जरिए दिखाया गया। शो में 7 ट्रांसजैंडर जो अलग-अलग शहरों से आए थे उन्होंने ट्राईसिटी की 7 फीमेल के साथ स्टेज शेयर किया। दौरान नीपा (नॉर्थ इंडियन परफॉमैंस एंड प्लैसमैंट एकैडमी) की ओर से 5 से 12 साल के बच्चों ने डांस परफॉर्म किया। शो की कोरियोग्राफी एक्टर व कोरियोग्राफर प्रिंस राजपूर ने की।

नाचना-गाना अच्छा नहीं लगा 
शो में पहुंची बंटी मेहरा सबसे ज्यादा छाई रही। सहारनपुर की 57 साल की बंटी पहली ट्रांसजैेंडर ब्यूटी क्वीन का टाइटल जीत चुकी हैं। भले ही उम्र 57 की हो लेकिन वह किसी भी महिला के कम सुंदर नहीं दिखती। उन्होंने बताया कि 2 साल की थी जब किन्नर उन्हें अपने साथ ले गए थे। नाचना-गाना कभी पंसद आया नहीं। गुरु से काम करने को कहा तो उन्होंने भी साथ दिया। जब हाथ पैर है तो क्यों हाथ फैलाकर किसी से पैसे मांगना। बतौर मेकअप ऑर्टिस्ट आज खुद का सैलून चलाती हैं। यही नहीं अपने भाई की मौत के बाद उनके बच्चे भी पालती हैं।

सोच बदल रही है
शहर में फोक डांस व भांगड़ा की शुरुआत करने वाले सरदार भाग सिंह की बेटी बरखा बाली, एक्टिंग मॉडलिंग, थिएटर से पिछले कई सालों से जुड़ी हैं। शो कोरियोग्राफ के तौर पर बहुत काम किया है। लेकिन जब इस शो का यूनिक कॉन्सैप्ट पता चला तो हिस्सा लिया। पहले के मुकाबले लोगों की सोच बदल रही है। सोसायटी में सभी को एक जैसे राइट होने चाहिए। इसी को बताने इस मंच तक आई हूं। शैली शहर के लिए नया नाम नहीं है। कई ब्यूटी पैजेंट इनके नाम हैं। शो में हिस्सा लेना एक मकसद था कि लोगों की सोच ट्रांसजैंडर के प्रति बदलनी है। खुद एक महिला हूं और इनके साथ स्टेज शेयर करके कह सकती हूं कि यह हम जैसे ही इंसान है, बल्कि कई तो हमसे भी ज्यादा टैलेंटेड हैं।


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bhavita joshi

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