शॉर्ट अटैंडैंस को लेकर प्राइवेट कॉलेज लापरवाह
punjabkesari.in Wednesday, Jun 19, 2019 - 11:33 AM (IST)

चंडीगढ़(वैभव): शहर के कॉलेज और यूनिवॢसटी लेवल पर छात्रों की अटैंडैंस का प्रशित 75 होना जरूरी है। लेकिन कॉलेज लेवल में ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है किसी स्टूडैंट्स का अटैंडैंस प्रतिशत 75 हो। फिर भी कई स्टूडैंट्स ऐसे भी हैं जिनकी 90 या फिर 100 प्रतिशत अटैंडैंस होती है। ज्यादातर छात्र ऐसे होते हैं जिनकी अटैंडैंस प्रतिशत शॉर्ट ही रहती है। इसके बावजूद कॉलेज प्रशासन की ओर से ऐसे छात्रों के खिलाफ एक्शन न लेकर बल्कि उनकी मदद की जाती है।
बता दें कि कई प्राइवेट कॉलेज अपने कॉलेज में ज्यादा से ज्यादा स्टूडैंट्स को दाखिला लेने के लिए आकॢषत करने के लिए उनकी अटैंडैंस में ढील दे देते हैं। ताकि उनके कॉलेज का रिजल्ट बेहतर हो। और यहां दाखिला लेने के लिए ज्यादा से ज्यादा स्टूडैंट्स उनके कॉलेज में आवेदन करें।
ये कॉलेज उन छात्रों को भी रोल नंबर दे देते हैं, जिनकी अटैंडैंस 50 प्रतिशत से भी कम है। यह खेल शहर के कॉलेजों में जमकर खेला जा रहा है। शॉर्ट अटैंडैंस स्टूडैंट्स को छूट देकर कॉलेज के दूसरे स्टूडैंट्स और अन्य कॉलेजों में पढऩे वाले स्टूडैंट्स पर गलत प्रभाव डाल रहा है।
75 फीसदी अटैंडैंस का प्रबंधन के लिए नहीं कोई मतलब
कॉलेजों में नियम ये हैं कि कोई भी एग्जाम में तभी बैठ सकता है जब उसकी अटैंडैंस कम से कम 75 प्रतिशत हो। लेकिन इन नियमों को मानने के लिए कोई भी प्राइवेट कॉलेज तैयार नहीं होता। क्योंकि अगर छात्र एग्जाम नहीं देगा तो उस कॉलेज के रिजल्ट पर असर होगा, जिससे उसकी साख पर बट्टा लगेगा और कोई भी अभिभावक अपने बच्चों को उस कॉलेज में दाखिला नहीं दिलाएंगे।
सैक्टर-10 में छात्रों ने किया था जबरदस्त हंगामा
हाल ही में अटैंडैंस शॉर्ट को लेकर गवर्नमैंट कॉलेज ऑफ ऑर्ट सैक्टर-10 में छात्रों ने जबरदस्त हंगामा किया था। क्योंकि उन छात्रों के अटैंडैंस शॉर्ट होने की वजह से रोल नंबर रोक दिए गए थे। लेकिन प्राइवेट कॉलेजों में ऐसा मंजर नहीं होता। जिसे देख कर ऐसा लगता है कि प्राइवेट कॉलेजों के हर स्टूडैंट्स पूरे वर्ष कॉलेज में आते हैं और किसी भी स्टूडैंट्स की अटैंडैंस शॉर्ट नहीं होती।
सरकारी कॉलेजों में अटैंडैंस को लेकर कॉलेज प्रबंधन सख्त
प्राइवेट कॉलेजों के अलावा अगर सरकारी कॉलेजों की बात करें तो यहां 75 प्रतिशत अटैंडैंस का नियम अच्छे से पालन किया जाता है। कॉलेजों में उन्हीं स्टूडैंट्स को छूट दी जाती है, जो किसी ठोस कारण से अपनी 75 प्रतिशत अटैंडैंस पूरी नहीं कर पाते हैं। अटैंडैंस के मामले में शहर के सरकारी कॉलेजों के प्रबंधन हर बार सख्त नजर आते हैं।