होटल में ऑनलाइन बुक किए रूम बदल दिए, फोरम ने ठोका 10 हजार हर्जाना

Sunday, Jun 16, 2019 - 11:24 AM (IST)

चंडीगढ़(राजिंद्र शर्मा): धर्मशाला में ऑनलाइन होटल की बुकिंग लेकिन चैक इन के बाद जब शिकायतकर्त्ता परिवार के साथ बाहर घूमने गया तो होटल प्रबंधन ने पीछे से अपने आप ही रूम चेंज कर दिए। फोरम ने होटल और ऑनलाइन साइट को सेवा में कोताही का दोषी करार दिया है। फोरम ने निर्देश दिए हैं कि वह दोनों शिकायतकर्त्ता को बुकिंग के 8702 रुपए रिफंड करें। 

साथ ही मानसिक पीड़ा और उत्पीडऩ के लिए 5 हजार रुपए मुआवजा और 5 हजार मुकदमा खर्च भी दें। आदेश की प्रति मिलने पर 30 दिनों के अंदर इन आदेशों की पालना करनी होगी, नहीं तो रिफंड और मुआवजा राशि पर 12 प्रतिशत की दर से ब्याज भी देना होगा। ये आदेश जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम-1 ने सुनवाई के दौरान जारी किया।

बाहर घूमने गए तो सामान कर दिया दूसरे कमरों में शिफ्ट
सैक्टर-27 डी चंडीगढ़ निवासी वीर सिंह ने फोरम में एम.एस. ओरावेल स्टेस प्राइवेट लिमिटेड, न्यू दिल्ली और एम.एस. होटल नंदिनी होमस्टे, धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश के खिलाफ शिकायत दी थी। शिकायत में कहा कि उन्होंने ऑनलाइन वैबसाइट के जरिए अपने और दोस्त के लिए धर्मशाला में होटल नंदिनी होमस्टे में दो रूम बुक किए। 24 जून, 2016 को शिकायतकर्त्ता ने होटल में चैक इन कर लिया। चैक इन करने के बाद होटल प्रबंधन ने बोला जिन रूम में उन्होंने चैक इन किया है, वह उनके बुकिंग करने से पहले ही किसी और ने बुक कर लिए थे, इसलिए वह उन्हें दूसरे रूम में शिफ्ट कर देते हैं। 

शिकायतकर्त्ता ने उनकी बात नहीं मानी और इन रूम में ही रहे। दूसरे दिन वह अपने परिवार के साथ रूम की चाबियां होटल में छोड़कर बाहर घूमने चले गए लेकिन लौटने के बाद वह ये देखकर दंग रह गए कि बिना उनकी सलाह उनका सामान दूसरे दो कमरों में शिफ्ट कर दिया, जिनकी हालत होटल के सभी कमरों से खराब थी। शिकायतकर्त्ता ने होटल प्रबंधन से बात करने का प्रयास किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। 

इसके बाद उन्होंने ऑनलाइन वैबसाइट से भी संपर्क किया लेकिन वहां भी काई राहत नहीं मिली, जिसके बाद ही उन्होंने इस संबंध में फोरम में शिकायत दी। होटल नंदिनी होमस्टे से फोरम में कोई पेश नहीं हुआ, जिसके चलते उसे एक्सपार्टी (एकतरफा) करार दिया गया। वहीं, एम.एस. ओरावेल स्टेस प्राइवेट लिमिटेड ने फोरम में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उन्होंने सेवा में कोताही नहीं बरती। 

bhavita joshi

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