सड़क पर दौड़ी पहली इलैक्ट्रिक बस, सिंगल चार्ज में तय किया 130 किलोमीटर का सफर

punjabkesari.in Thursday, Jun 15, 2017 - 07:30 AM (IST)

चंडीगढ़ (विजय): ऐसे स्मार्ट होगा शहर का पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम। एक तरफ पहली बार शहर में चंडीगढ़ प्रशासन ने इलैक्ट्रिक बसें चलाईं तो दूसरी ओर लाखों रुपए से खरीदी गई नई बसें दिन गुजरने के साथ ही खस्ताहाल होती जा रही हैं। यानी लोगों से वसूल किए जा रहे टैक्स से जो नई बसें खरीदी गईं उन्हें रूट पर उतारने की जहमत नहीं उठाई जा रही है। डिपो नंबर-2 से बुधवार को नई इलैक्ट्रिक बस को पहली बार रूट में उतारा गया। वहीं 40 नई बसें पिछले लगभग तीन महीने से रूट पर उतरने का इंतजार कर रही हैं। 

 

सूत्रों के अनुसार इन 40 बसों की चैसी 17 मार्च को वर्कशॉप में पहुंच गई थी, लेकिन इनकी बॉडी के लिए अभी तक किसी कंपनी को फाइनल नहीं किया जा सका है। एक बस की चैसी की कीमत लगभग 9 लाख रुपए है। यानि लगभग 3.60 करोड़ रुपए की टाटा कंपनी की नई चैसियां बिना रूट पर उतरे ही पुरानी होती जा रही हैं। वहीं, अधिकारियों का कहना है कि इन चैसियों के लिए बॉडी फिट करने के काम में अभी कुछ दिन और लगेंगे।


 

एक बार चार्ज में 130 किलोमीटर चली इलैक्ट्रिक बस
शहर को पॉल्यूशन फ्री बनाने के लिए चंडीगढ़ प्रशासन ने इलैक्ट्रिक बस का जो कांसैप्ट शुरू करने की योजना तैयार की थी उसके तहत पहला प्रयोग बुधवार से शुरू हो गया। सी.टी.यू. ने पहले दिन पी.जी.आई. से आई.टी. पार्क के रूट में इस बस को उतारा। हालांकि परमीशन न होने की वजह से बस में किसी भी पैंसेजर को नहीं बैठाया गया। इसकी बजाय लगभग 1700 किलो का भार बस में रखा गया था जिसने पैसेंजर्स की जगह ली। अधिकारियों ने पहले दिन इलैक्ट्रिक बस को काफी फायदेमंद सौदा बताया। 

 

बुधवार सुबह बस को डिपो नंबर-2 में पूरी तरह से चार्ज किया गया था, जिसके बाद यह बस शाम तक 130 किलोमीटर चलाई गई, लेकिन तब तक भी बस दोबारा चार्ज करने की नौबत नहीं आई। सी.टी.यू. द्वारा आने वाले 15 दिन तक इस बस को ट्रायल में रखा जाएगा। इसके बाद एवरेज निकाली जाएगी कि एक बार चार्ज होने के बाद बस कितना चलती है? साथ ही नॉर्मल बस की तुलना में इस बस से कितना फायदा हो सकता है?


 

26 पैसेंजर्स के बैठने की क्षमता
इलैक्ट्रिक बस में 26 पैसेंजर्स के बैठने की क्षमता है। हालांकि अभी यह फाइनल नहीं है कि प्रशासन भविष्य में टाटा कंपनी की ही इलैक्ट्रिक बसों को ही रूट पर उतारेगा। दरअसल, कुछ अन्य कंपनियां भी प्रशासन के पास अपनी बसों का डैमो दे चुकी हैं। बस में सी.सी.टी.वी., पब्लिक एड्रैस सिस्टम और फायर फाइटिंग उपकरण की भी सुविधा दी गई है। 


 

अब तक लाखों का नुक्सान
बात केवल यह नहीं है कि तीन महीने न चलने सब बसों की हालत खराब हो रही है बल्कि इससे चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट अंडरटेकिंग (सी.टी.यू.) को भी अभी तक लाखों रुपए के रैवेन्यू का नुक्सान हो चुका है। अगर पिछले तीन महीने से ये सभी 40 बसें रूट पर चलती रहती तो सी.टी.यू. को काफी फायदा मिलता। सवाल यह है कि जब चैसी तीन महीने पहले वर्कशॉप तक पहुंच गई थी तो बॉडी के लिए इतना इंतजार क्यों करना पड़ा? 

 

11 लोगों की इंस्पैक्शन टीम की तैयार 
सी.टी.यू. की ओर से इस बस की इंस्पैक्शन करने के लिए 11 लोगों की एक टीम तैयार की है। यह टीम बुधवार को भी रूट के दौरान बस के साथ ही चल रही थी, जिससे कि एक सही आंकड़ा निकल सके। यह कोशिश भी की जा रही थी कि बस अधिक देर तक किसी एक जगह पर खड़ी न रहे, क्योंकि इससे एवरेज में फर्क आ सकता है। बस की कीमत लगभग 1.5 करोड़ रुपए बताई जा रही है। जिसमें से 60 प्रतिशत कीमत केवल बैटरी की है। यह बस तो टाटा की है, लेकिन प्रशासन कुछ अन्य कंपनियों से भी कांटैक्ट में है जो बेहतर नॉन-पॉल्यूटिंग टैक्नोलॉजी प्रदान करेगी।

 

कर्मचारी से देरी तो होती रिकवरी
सी.टी.यू. का यह भी नियम है कि अगर किसी ड्राइवर या कंडक्टर की लेटलतीफी की वजह से बस रूट पर न उतरे तो उस कर्मचारी से ही पूरी रिकवरी की जाती है। यह रिकवरी रूट से होने वाले फायदे के आधार पर की जाती है, लेकिन यहां जहां कि मैनेजमैंट खुद 40 बसों को रूट पर न उतारने की जिम्मेदार है इनसे कौन रिकवरी करेगा?


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