आर्कीटैक्ट विभाग ही पार्किंग पॉलिसी का अंतिम प्रारूप तैयार करेगा

Wednesday, Feb 19, 2020 - 09:59 AM (IST)

चंडीगढ़(साजन) : पार्किंग पालिसी को लेकर बीते कई दिनों से आर्कीटैक्ट और ट्रांसपोर्ट विभाग के बीच चल रहा विवाद आखिर एडवाइजर मनोज परिदा के दखल के बाद थम गया है। एडवाइजर मनोज परिदा ने आदेश दिया है कि पॉलिसी का अंतिम प्रारूप आर्कीटैक्ट विभाग ही फाइनल करेगा क्योंकि यह मसला अर्बन डिवैल्पमैंट प्लानिंग के अंडर आता है। कई दिनों से आर्कीटैक्ट विभाग शहर में पार्किंग पॉलिसी का काम ट्रांसपोर्ट विभाग के जिम्मे डाल रहा था। 

चीफ आर्कीटैक्ट कपिल सेतिया की तरफ से लगातार कहा जा रहा था कि वह पार्किंग पॉलिसी का रफ प्रारूप तैयार कर ट्रांसपोर्ट विभाग के पास भेज चुके हैं लेकिन ट्रांसपोर्ट विभाग ने यह कहते हुए फाइल लौटा दी कि पार्किंग का मसला उनके अंडर नहीं आता। ट्रांसपोर्ट सैक्रेटरी अजय कुमार सिंगला का कहना था कि उनका विभाग केवल वाहनों की संख्या देने तक सीमित है कि कितने व्हीकल चंडीगढ़ में रजिस्टर्ड किए गए हैं। 

बाकी का काम तो आर्कीटैक्ट विभाग ने ही देखना है। आखिरकार एडवाइजर मनोज परिदा को दखल देना पड़ा और उन्होंने आर्कीटैक्ट विभाग को ही पार्किंग पॉलिसी का फाइनल प्रारूप तैयार करने का आदेश दे दिया। पार्किंग पॉलिसी के लिए हाईकोर्ट के निर्देश के बाद जनता से आब्जैक्शन मांगे गए हैं। इसके बाद इसे अमलीजामा पहनाया जाएगा। 

वाहनों के घनत्व में चंडीगढ़ सबसे ऊपर, बेधड़क हो रही रजिस्ट्रेशन :
चंडीगढ़ में वाहनों का घनत्व पूरे भारत में सबसे ज्यादा है। केंद्र की ओर से कराए सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि चंडीगढ़ के बहुत से घरों में चार-चार गाडिय़ां हैं। यानि वाहनों की डेनसिटी के हिसाब से चंडीगढ़ देश में पहले नंबर पर आता है। हालांकि वाहनों की ग्रोथ की बात अगर करें तो चंडीगढ़ देश में अब काफी नीचे की पायदान पर आता है। 

बड़ी तादाद में लोगों द्वारा खरीदी गई और रजिस्टर्ड हुई गाडिय़ां जाम का कारण बन लोगों के लिए समस्या बनती जा रही हैं। जिन घरों में ज्यादा गाडिय़ां हैं, उन्हें पार्क करने तक की जगह उनके पास नहीं है। प्रशासन ने पार्किंग को लेकर अब तक कोई पॉलिसी तय नहीं की है। यही वजह है कि बेधड़क प्राइवेट कारों व वाहनों की रजिस्ट्रेशन होती जा रही है। 

हाईकोर्ट ने प्रशासन को 90 दिन का समय दिया था :
नई पार्किंग पॉलिसी में आर्कीटैक्ट विभाग फ्लोर एरिया रेशो को डिफाइन करेगा। लोगों को नए घरों के निर्माण के दौरान ही पार्किंग भी दिखानी होगी, उसके लिहाज से ही वाहन रजिस्ट्रेशन की जाएगी। पार्किंग के लिए या तो बेसमैंट, या ऊपरी मंजिल या ग्राऊंड फ्लोर पर प्रावधान दिखाना होगा। 

कमर्शियल व रैजीडैंशियल पार्किंग के अलग-अलग नॉर्म्स तय किए जाएंगे। सैक्टरों में भी मल्टीपल पार्किंग का तरीका अपनाना होगा। सड़कों पर वाहन खड़ा करने की परमिशन नहीं होगी। नगर निगम, एस्टेट आफिस व ट्रैफिक पुलिस को समस्या पर काबू पाने और नियमों को मनवाने के लिए आपसी तालमेल से काम करना होगा। 

कुछ इसी तरह के मसले नई पार्किंग पॉलिसी में शामिल किए जाने की संभावना है। हाईकोर्ट ने इसके लिए प्रशासन को 90 दिन का समय दिया था। करीब एक माह का समय तो गुजरने वाला है। अगले दो माह में प्रशासन को पॉर्किंग पालिसी का नोटीफिकेशन जारी करना है। 

Priyanka rana

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