टैक्सी-कैब सर्विस देने वाली कंपनियों पर नहीं कसी जा सकी नकेल

Monday, Jul 22, 2019 - 01:05 PM (IST)

चंडीगढ़(साजन शर्मा): चंडीगढ़ ट्रांसपोर्ट डिपार्टमैंट शहर में टैक्सी-कैब सर्विस का संचालन कर रही कंपनियों पर अब तक नकेल नहीं कस पाया है। कंपनियां विभाग के बुलावे पर अभी तक मीटिंग करने के लिए नहीं पहुंची है और जो रवैया कंपनियों व इनसे जुड़ी यूनियनों ने अपना रखा है, उससे लगता भी नहीं कि आगे प्रशासन के साथ कोई मीटिंग होगी। असल में ट्रांसपोर्ट विभाग कंपनियों के साथ मीटिंग कर शहर में प्रति किलोमीटर के हिसाब से रेट तय करना चाहता है लेकिन कंपनियां इससे बच रही हैं। लोगों को इससे नुक्सान हो रहा है और कंपनियों की मनमानी झेलनी पड़ रही है। 

कंपनियों की मनमानी से परेशान हैं लोग
ओला और उबेर जैसी कैब सर्विस देने वाली कंपनियां मनमाने रेट वसूल रही हैं। लोगों के पास फिलहाल कोई ऑप्शन नहीं कि वह किसके पास शिकायत करें। ट्रांसपोर्ट विभाग ने कंपनियों को प्रति किलोमीटर के हिसाब से रेट फिक्स करने के लिए कई बार बुलाया है लेकिन कंपनियों के कानों पर जूं नहीं रेंग रही। बताया जा रहा है कि लोगों की परेशानी को भांपते हुए अब ट्रांसपोर्ट डिपार्टमैंट सख्त रवैया अपना सकता है। 

ऐसा भी कहा जा रहा है कि अगर कंपनियां सहमति से रेट तय करने के पक्ष में नहीं हैं तो विभाग अपने स्तर पर रेट तय कर सकता है जिसे कंपनियों को हर हाल में मानना पड़ेगा हालांकि ऐसा करने से ट्रांसपोर्ट विभाग और टैक्सी कंपनियों के बीच विवाद भी बन सकता है।

रेट फिक्स करने में कंपनियों का ही है ज्यादा फायदा
ट्रांसपोर्ट विभाग के सचिव अजय कुमार सिंगला का कहना है कि उन्होंने ओला-उबर व अन्य कंपनियां जो शहर में अपनी सर्विस दे रही हैं के, नुमाइंदों और यूनियनों को रेट फिक्सेशन के लिए बुलाया था लेकिन अभी तक वह मीटिंग के लिए नहीं पहुंचे। सिंगला के अनुसार रेट फिक्स करने में कंपनियों का ही ज्यादा फायदा है लेकिन फिलहाल शायद उनके जहन में कहीं न कहीं ये घूम रहा है कि इससे उनका नुकसान हो जाएगा। अजय सिंगला के मुताबिक विभाग की मंशा है कि शहर में अगर कोई टैक्सी या कैब हायर करे तो दूरी के मुताबिक रेट तय हो जाएं। खासतौर से जहां सवारी को कम दूरी पर जाना है तो वहां रेट को लेकर कुछ विवाद आपस में रहता है।

लोगों को राहत मिलेगी

अगर प्रशासन की तरफ से रेट फिक्स हो जाएंगे तो न तो सवारी और न ही कंपनियों के ड्राइवर कोई हो हल्ला कर पाएंगे। तय रेट के मुताबिक ही पैसे देने पड़ेंगे। शुरू के कुछ किलोमीटर को लेकर उन्होंने ज्यादा विवाद बताया और कहा कि इससे टैक्सी संचालकों व सर्विस देने वाली कंपनियों को ही फायदा होगा। कम दूरी पर भी एक तय रेट फिक्स हो सकेगा। दूसरी और इससे लोगों को भी राहत मिलेगी।

bhavita joshi

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